राजस्थान की राजनीति के लौह स्तम्भ माने जाने वाले और भारतीय राजनीतिक पटल पर अपना विशिष्ट स्थान रखने वाले बडे राजनैतिक व्यक्तित्व के धनी और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री व भारत के पूर्व उप राष्ट्रपति भैंरोसिंह शेखावत का आज निधन हो गया। पूरी जनता के बीच में बाबोसा के नाम से पहचाने जाने वाले भैरोंसिह शेखावत परम्परागत राजनीति की अंतिम कडी थे। वर्तमान में राजनीति में ऐसे लोगों का अभाव है जो पक्ष विपक्ष की राजनीति को व्यक्तिगत संबंधों पर हावी होने नहीं देते, शेखावत इसी तरह की राजनीति की अंतिम कडी कहे जा सकते हैं। किसान से पुलिस सब इंस्पेक्टर और फिर किसान और उसके बाद राजनीति में प्रवेश करने वाले शेखावत को हमेशा धुरधंर राजनीतिज्ञ के रूप में याद किया जाएगा। एक ऐसा नेता जो जनता के करीब था और उनके दुख दर्द समझता ही नहीं था वरन् उसमें शरीक भी होता था। अपने प्रत्येक कार्यकर्ता को नाम से पुकारने वाले शेखावत हमेशा से ही जनता से जुडे रहे और उन्हें सही शब्दों में ’मास लीडर‘ कहा जा सकता है। राजस्थान में पहले गैर काँग्रेसी मुख्यमंत्री होने का गौरव भी श्री भैंरोसिंह शेखावत को प्राप्त है। राजस्थान की राजनीति में जनसंघ व भाजपा को स्थापित करने में भैंरांसिह शेखावत का योगदान हमेशा याद किया जाएगा। आज भी राजस्थान के कईं गाँवों में भाजपा को बाबोसा की पार्टी के नाम से जाना जाता है। बाबोसा हमेशा से ही काँगेस को कडी टक्कर देने वाले नेता के रूप में रहे। राजस्थान में काँग्रेस को अगर किसी राजनेता से सशक्त टक्कर का सामना करना पडता था तो वो भैंरोसिंह शेखावत ही थे। भरोसिंह शेखावत के विरोधी तो थे लेकिन उनका कोई शत्रु नहीं था उन्हें राजस्थान की राजनीति का अजातशत्रु कहा जाता था। वैचारिक मतभेद रखने वाले लोग भी बाबोसा की दिल से इज्जत करते थे। बाबोसा का अनुशासन सब पर चलता था चाहे वह पार्टी कार्यकर्ता हो, विधानसभा का विधायक हो या विपक्षी दल का नेता, बाबोसा की बात मानने के लिए सभी राजी नजर आते थे। शेखावत के राजनीति के इतर व्यक्तिगत संबंध सभी दलों में थे जिनका फायदा उन्हें राजनीति म उठाना आता था और शायद यही कारण था कि पिछले राष्ट्रपति चुनावों में शेखावत को एक दमदार उम्मीदवार माना गया और वर्तमान राष्ट्रपति माननीया प्रतिभा पाटील के सामने सशक्त उम्मीदवार के रूप में उन्हें उतारा गया। भारतीय जनता पार्टी पर कोई भी संकट आता तो भैंरोसिंह शेखावत ही एक मात्र नेता था जो वह संकट दूर कर सकता था और समय समय पर बाबोसा ने ऐसा करके दिखाया भी था। अपने व्यवहार व स्वभाव से सबको अपना बनाने की ताकत रखने वाले शेखावत अब हमारे बीच नहीं है लेकिन उनके द्वारा स्थापित किए गए मूल्य आने वाली पीढी के लिए प्रेरणादायी हगे यही कामना है। ऐसे दिग्गज नेता के निधन ने प्रदेश की राजनीति में एक स्थान खाली कर दिया है जो कभी भरा नहीं जाएगा।
श्याम नारायण रंगा ’अभिमन्यु‘, पुष्करणा स्टेडियम के पास, बीकानेर