आरुषि-हेमराज हत्याकांड
15 मई 2008 की रात डॉ राजेश तलवार दम्पत्ति के लिए वह भयानक रात साबित हुई जिसकी कभी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। उस रात डॉ राजेश तलवार ने न सिर्फ अपनी इकलौती होनहार बेटी आरुषि से हाथ धोया बल्कि दुर्भाग्यवश स्वयं अपनी ही बेटी की हत्या के संदिग्ध आरोपी भी बन गए। 50 दिन तक डॉ तलवार पर टिकी संदेह की सुई उस समय अपनी जगह से हिल गई जबकि सी बी आई ने गत् 11 जुलाई को उन्हें क्लीन चिट दे दी।
ज्ञातव्य है कि दिल्ली के समीप उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्घ नगर (नोएडा) स्थित डॉ राजेश तलवार के घर में उनकी 15 वर्षीय बेटी आरुषी का संदिग्ध अवस्था में कत्ल हो गया था। आरुषि की हत्या के बाद चूंकि उनका घरेलू नौकर हेमराज घर पर मौजूद नहीं था इसलिए अचानक शक की सुई नौकर हेमराज पर जा टिकी। अगले ही दिन उत्तर प्रदेश पुलिस हेमराज की तलाश में नेपाल स्थित उसके पैतृक निवास की ओर कूच कर गई। परन्तु अचानक हेमराज का शव भी आरुषि की हत्या के तीसरे दिन डॉ तलवार के घर की छत पर पडा मिला। हेमराज की लाश मिलने के बाद आरुषि हत्याकांड दोहरे हत्याकांड में तब्दील हो गया। नोएडा औद्योगिक दृष्टिकोण से उन्नत क्षेत्र होने के अतिरिक्त देश के लगभग सभी बडे इलेक्ट्राॅनिक मीडिया चैनल का भी एक प्रमुख केंद्र है तथा फिल्म सिटी नामक एक विशेष क्षेत्र में इन मीडिया चैनल्स के स्टूडियो आदि स्थित हैं। इसलिए मीडिया नोएडा की घटनाओं पर न सिर्फ अपनी खास नजर रखता है बल्कि जरूरत पडने पर संवेदनशील घटनाओं का गहन जायजा भी लेता है। आम भाषा में इसे मीडिया का दबाव बनाना भी कहा जाता है। निठारी कांड तथा इसमें मीडिया की दिलचस्पी व इसके परिणाम इस बात का जीता-जागता सुबूत हैं। ठीक इसी प्रकार मीडिया ने नोएडा के इस दोहरे हत्याकांड को भी हाथों-हाथ लिया। परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश पुलिस ने बिना समय गंवाए आरुषि के पिता डॉ राजेश तलवार को ही अपनी बेटी व नौकर हेमराज की हत्या का आरोपी बना डाला। और अपनी बेटी की हत्या से दुःखी इस बदनसीब बाप को ही उत्तर प्रदेश पुलिस ने सलाखों के पीछे डाल दिया।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने डॉ राजेश तलवार पर अपनी ही बेटी की हत्या का आरोप साबित करने के लिए उन्हें मात्र हत्यारा ही नहीं बताया बल्कि उनपर चरित्र हीन व शराबी होने जैसे कई आरोप भी लगाकर डॉ तलवार की चरित्र हत्या करने का भी खुला प्रयास किया गया। उसी दौरान जब उत्तर प्रदेश पुलिस डॉ राजेश तलवार को गिरफ्तार करने के बावजूद जब उनके विरुद्घ कोई ठोस सुबूत पेश नहीं कर सकी तथा मीडिया की दिलचस्पी और अधिक बढती गई तो उत्तर प्रदेश सरकार ने बिना और समय गंवाए इस दोहरे हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने हेतु केंद्रीय जांच ब्यूरो (सी बी आई) से निवेदन किया। सी बी आई ने भी डॉ राजेश तलवार को ही मुख्य आरोपी मानते हुए उनके कई ऐसे टेस्ट करवाए जिनसे कि इस दोहरे हत्याकांड की गुत्थी सुलझाई जा सके। परन्तु गत् 11 जुलाई को आखिरकार सी बी आई इस नतीजे पर पहुंची कि आरुषि-हेमराज दोहरे हत्याकांड में डॉ राजेश तलवार निर्दोष हैं और सी बी आई द्वारा डॉ तलवार को क्लीन चिट दिए जाने के साथ ही सम्बद्घ अदालत ने आरुषि के पिता डॉ राजेश तलवार को आखिरकार जमानत दे दी।
सी बी आई द्वारा इस दोहरे हत्याकांड में अब कृष्णा, राजकुमार एवं विजय मंडल नामक तीन व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया है। मौका-ए-वारदात से बरामद किए गए खून के निशान तथा उक्त तीनों अभियुक्तों के रक्तग्रुप के बीच पैदा होने वाले तालमेल के आधार पर सी बी आई ने इन तीनों व्यक्तियों को आरोपी बनाया है। इन तीनों व्यक्तियों पर भी सी बी आई हत्या का आरोप पूरी तरह साबित कर सकेगी या नहीं यह तो निकट भविष्य में और भी स्पष्ट हो जाएगा। परन्तु डॉ राजेश तलवार के साथ जो कुछ हुआ, आखिर उसका जिम्मेदार कौन है तथा उसे इस जुर्म की क्या सजा दी जा सकती है।
डॉ राजेश तलवार एवं उनकी पत्नी डॉ नुपुर तलवार दोनों ही पेशे से डॉक्टर हैं। इनकी इकलौती बेटी दिल्ली के सबसे प्रतिष्ठित समझे जाने वाले दिल्ली पब्लिक स्कूल (डी पी एस) की छात्रा थी। काफी नाजो-नखरे से पली बढी आरुषि अत्यन्त शोख, चंचल एवं चरित्रवान लडकी थी। वह अपने सहपाठियों के मध्य भी बहुत लोकप्रिय थी। आरुषि नोएडा से अपने स्कूल प्रतिदिन अपनी निजी कार से आया जाया करती थी। बताया जाता है कि डॉ राजेश तलवार अपनी इस चहेती बेटी के पालन पोषण पर लगभग 12॰॰॰ रुपए प्रतिमाह खर्च किया करते थे। आरुषि एक कमसिन व शरीफ बच्ची थी। उसके सहपाठियों व परिवार वालों ने भी कभी भी उसके चरित्र को लेकर कोई संदेह नहीं जाहिर किया था। परन्तु उसकी हत्या के पश्चात मात्र हत्या की गुत्थी को सुलझाने के अपने दायित्व को पूरा करने के लिए यू पी पुलिस द्वारा ऐसी-ऐसी थ्योरी पेश की गई जिससे कि पूरा देश सकते में आ गया। पिता डॉ तलवार को हत्या का आरोपी बनाने के बाद तो गोया देश के बच्चों का विश्वास ही अपने पिता पर से उठता दिखाई देने लगा था। पिता पुत्री जैसे पवित्र रिश्तों के मध्य इस प्रकार का संदेह पैदा करने की जिम्मेदार यदि उत्तर प्रदेश पुलिस नहीं तो आखिर कौन है?
ऐसा नहीं है कि हमारे देश में पिता द्वारा पुत्र या पुत्री की हत्याएं न की गई हों। इस देश में तो पुत्री अथवा पुत्र द्वारा पिता या माता की हत्या के भी समाचार मिलते रहते हैं। परिस्थितियां कभी भी किसी भी रिश्ते को कलंकित कर सकती हैं। कभी भी कोई भी रिश्ता संदेह के दायरे में आ सकता है। उत्तर प्रदेश पुलिस ने भी अपनी जांच थ्योरी के हिसाब से डॉ राजेश तलवार से जो प्रारम्भिक पूछताछ की वह निश्चित रूप से उसका संवैधानिक कार्यक्षेत्र भी था तथा उसका दायित्व भी। परन्तु जिस प्रकार पुलिस द्वारा अपने संदेह को सत्यापित करने की गलत कोशिश की गई तथा डॉ राजेश तलवार को मुख्य अभियुक्त बनाने हेतु उनपर जो और दूसरे चरित्र हनन के आरोप लगाए गए वे नितांत गैर जरूरी, अनैतिक, असंवैधानिक तथा अमानवीय हैं। एक प्रतिष्ठित डॉक्टर के पास उसकी सबसे बडी पूंजी उसकी अपनी प्रतिष्ठा ही होती है। इसमें कोई संदेह नहीं कि पुलिस ने डॉ तलवार दम्पत्ति की प्रतिष्ठा को तार-तार कर दिया है। उत्तर प्रदेश पुलिस भले ही डॉ तलवार को न्यायिक हिरासत में रखकर उनपर आरोप साबित करने की कोशिश में लगी रही, परन्तु मेरे जैसी दृष्टि रखने वाले तमाम लोग इस मर्डर मिस्ट्री में डॉक्टर तलवार को शुरु से ही बेगुनाह ही समझ रहे थे।
अब प्रश्ा* यह है कि जिस यू पी पुलिस ने एक पिता को उसकी बेटी के कत्ल पर रोने के बजाए उसी को हत्या आरोपी के रूप में जेल की सलाखों के पीछे धकेल दिया हो। जिस प्रतिष्ठित डॉक्टर को शराबी व चरित्रहीन जैसे बेहूदे अलंकरण से उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा नवाजा गया हो तथा बाद में सी बी आई द्वारा उसी व्यक्ति को बेकसूर बताते हुए क्लीन चिट दे दी गई हो, उस डॉ राजेश तलवार की आबरु रेजी की भरपाई आखिर कैसे हो सकती है। डॉ राजेश तलवार की बेवजह 50 दिन की हिरासत तथा उनपर लगे चरित्र हनन के आरोपों को आरुषि हेमराज हत्याकांड से कम गंभीर नहीं समझा जाना चाहिए। अब इस दोहरे हत्याकांड के हत्यारों तक पहुंचने से ज्यादा जरूरी है कि डॉ राजेश तलवार का चरित्र हनन करने वालों को बेनकाब किया जाए तथा उन्हें भी यथाशीघ्र जेल की सलाखों के पीछे डाला जाए। शायद तभी देश की वह जनता राहत की सांस ले सकेगी जोकि इस दोहरे हत्याकांड पर अपनी नजरें लगाए बैठी है।
Nirmal Rani [email protected]