कैसे बनी 'चुन्नु-मुन्नु के पापा की कार'
दिल्ली में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वाहन मेले (ऑटो एक्सपो) में गुरूवार, 10 जनवरी की दोपहर को टाटा मोटर्स के अध्यक्ष श्री रतन टाटा टाटा मोटर्स की बहुप्रतीक्षित लखटकिया कार को दुनिया के सामने पेश करेंगे।
दिल्ली में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वाहन मेले (ऑटो एक्सपो) में गुरूवार, 10 जनवरी की दोपहर को टाटा मोटर्स के अध्यक्ष श्री रतन टाटा टाटा मोटर्स की बहुप्रतीक्षित लखटकिया कार को दुनिया के सामने पेश करेंगे। पिछले एक दशक से ऑटो के शौकीन करोड़ों लोग और पूरी इंडस्ट्री बेसब्री से इस घड़ी का इंतजार कर रही है।
इस कार को बनाने की प्रेरणा रतन टाटा को 90 के दशक की शुरुआत में बजाज ऑटो के बेस्ट सेलिंग स्कूटर चेतक के एक विज्ञापन से मिली थी। उस विज्ञापन में एक खुशमिजाज दिखने वाला सरदार अपने 2 प्यारे बच्चों के साथ चेतक स्कूटर पर बैठा दिखता था और विज्ञापन में आवाज़ गूंजती थी, - चुन्नू, मुन्नू दे पापा दी गड्डी। यह विज्ञापन भारतीय मध्यमवर्गीय परिवार की भावनाओं को प्रकट करता था। तब रतन टाटा ने भी सोचा कि क्यों न ऐसी कार बनाई जाए जो स्कूटर वाले ' चुन्नू , मुन्नू के पापा ' की कार बन पाए।
इस परियोजना की शुरुआत सन् 1997 में हुई थी। उस वक्त लक्ष्य रखा गया था टूवीलर की सवारी करने वाले भारतीयों को टिकाऊ, सुरक्षित और किफायती कार का विकल्प देने का। एक लाख में चार सीटों वाली ऐसी कार को तैयार करने की चुनौती के साथ टीम अपने काम में जुट गई। शुरू में यह माना जा रहा था कि इसका हश्र भी वही होगा जो इससे पहले कई छोटी कार परियोजनाओं का हुआ। यानी कि चार पहिए वाला ऑटोरिक्शा। लेकिन टाटा मोटर्स ने दावा किया था कि ऐसी कार जरूर बनेगी और वादे के मुताबिक कीमत पर ही लोगों के सामने पेश की जाएगी।
रतन टाटा इस बात को बखूबी समझते थे कि भारत में छोटे कार का बाजार हमेशा बड़ा साबित होगा। उन्होंने 1998 के ऑटो एक्सपो में जिंग माइक्रोकार के नाम से कॉन्सेप्ट कार पेश की थी। यही कार 10 साल बाद 2008 में लखटकिया के रूप में आम लोगों के सामने पेश होने जा रही है।
लेकिन अभी इंतजार कीजिए
अगर आपको यह कार खरीदना है तो आपको जून तक इंतज़ार करना पडेगा। लेकिन फिलहाल आप इस कार की खूबियाँ जरूर जान सकते हैं। टाटा की यह कार एक लीटर पेट्रोल में 25 किलोमीटर चलेगी टाटा ग्रुप की ओर से महीनों की चुप्पी तोड़ते हुए अपनी इस कार की तमाम खासियतों का अनौपचारिक तरीके से ऐलान किया गया। टाटा की एक लाख रुपये कीमत की कार आम ग्राहकों के लिए सिंगुर प्लांट से जून में सड़कों पर उतारी जाएगी। यह इको-फ्रेंडली कार होगी और एक लीटर पेट्रोल में 25 किलोमीटर चलेगी। यूरो-चार मानकों के मुताबिक यह कार हर लिहाज से इंटरनैशनल स्टैंडर्ड्स को ध्यान में रखकर बनाई गई है।
इस कार में बैठने के लिए पर्याप्त जगह दी गई है। आगे की सीट या फिर पीछे बैठने में आपको कोई दिक्कत नहीं होगी। इसकी डिज़ाईन पूरी तरह से भारतीय इंजीनियरों के दिमाग की उपज है। यह कार लो-कॉस्ट ट्रांस्पोर्ट की दुनिया में तहलका मचा देगी। कार में प्लास्टिक का इस्तेमाल खूब किया गया है, ताकि गाड़ी का वजन हल्का रहे। कार में -बोल्ट की जगह वेल्डिंग की नई तकनीक इस्तेमाल की गई है।
लखटकिया कार के अलावा टाटा इंडिका, टाटा इंडिगो, इंडिगो मरीना का नया इंप्रूव मॉडल और टाटा की एलीगेंट भी इसी एक्सपो में दुनिया के सामने आएँगे। टाटा की सपनों की कार को लेकर उपभोक्ताओं के साथ-साथ अन्य कार उत्पादक कंपनियों में भी काफी उत्सुकता है।