श्रीमती विजयलक्ष्मी पुरोहित को पी.एच.डी. की उपाधि
’’ए स्टडी ऑफ ज्युडिशियल डिसिप्लीन इन इण्डिया ‘‘ पर किया शोध

हनुमानगढ , ७नवम्बर। न्यायालयों के न्यायिक अधिकारियों के कार्य एवं व्यवहार पर आधारित विषय ‘‘लॉ ऑफ बॉयस एण्ड ज्युडिशियल प्रोप्राइटी - ए स्टडी ऑफ ज्युडिशियल डिसिप्लीन इन इण्डिया‘‘ पर शोध कार्य के लिए राजस्थान विश्वविद्यालय ने श्रीमती विजयलक्ष्मी पुरोहित को पी.एच.डी. की उपाधि प्रदान की है। अपने शोध अध्ययन में श्रीमती पुरोहित ने न्यायिक अधिकारियों के लिए अलग से कोड ऑफ कंडक्ट बनाए जाने, ऑल इण्डिया ज्यूडिसियल सर्विस, अकाउंटेबिलिटी एवं इन सर्विस ट्रेनिंग प्रोग्राम एवं एथिक्स एडवाइजरी कमेटी के बारे में प्रभावी सुझाव दिए है। श्रीमती पुरोहित ने यह शोध कार्य राजस्थान विश्वविधालय के एसोसियेट प्रोफेसर डॉ. के.एल.शर्मा के निर्देशन में पूरा किया है।
न्यायिक अधिकारियों के परिवार की सदस्य होने से श्रीमती पुरोहित को अपने इस अध्ययन में गहनता लाने में मदद मिली है तथा इसका प्रभाव उनके शोध कार्य में परिलक्षित होता हैं। श्रीमती पुरोहित के पति श्री योगेन्द्र कुमार पुरोहित वर्तमान में हनुमानगढ में अपर जिला एवं सेंशन न्यायाधीश (फास्ट ट्रेक) के पद कार्यरत है। इनके भाई श्री उमाशंकर व्यास वर्तमान में अपर जिला एवं सेंशन न्यायाधीश (फास्ट ट्रेक) चित्तौडगढ के पद पर एवं दूसरे भाई श्री मनोज व्यास अपर जिला एवं सेंशन न्यायाधीश के पद पर जयपुर में कार्यरत ह। साथ ही उनकी भाभी श्रीमती नंदिनी व्यास भी चित्तौडगढ में व बहिन कमारी राजू व्यास पाली में ए.सी.जे.एम. के पद पर कार्यरत है।
उन्होंने बीकानेर के रामपुरिया महाविद्यालय से एलएलबी एवं डूंगर महाविद्यालय से एलएलएम किया है तथा वर्तमान में बार एसेसिएशन, बीकानेर में रजिस्टर्ड अधिवक्ता है। उनके इस शोध कार्य के निष्कर्ष न्यायिक व्यवस्था के लिए आने वाले समय में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।