आजादी एक्सप्रेस बीकानेर में
सूचना एवं प्रसार मंत्रालय व दृश्य प्रचार निदेशालय द्वारा चलाई गई विशेष ट्रेन ТТआजादी एक्सप्रेसСС बीकानेर रेलवे स्टेशन के तीन नम्बर प्लेटफॉर्म पर खडी है।
सूचना एवं प्रसार मंत्रालय व दृश्य प्रचार निदेशालय द्वारा चलाई गई विशेष ट्रेन ’’आजादी एक्सप्रेस‘‘ बीकानेर रेलवे स्टेशन के तीन नम्बर प्लेटफॉर्म पर खडी है। यह ट्रेन सत्रह अक्टूबर से यहाँ पर आम नागरिकों के देखने के लिए खडी है और उन्नीस अक्टूबर तक बीकानेर रेलवे स्टेशन पर ही रहेगी। ’’आजादी एक्सप्रेस‘‘ २८ सितम्बर को दिल्ली से रवाना हुई थी और गुजरात के पोरबंदर, बडोदरा, साबरममती होते हुए राजस्थान आई है। बीकानेर आने से पहले यह ट्रेन दौराई(अजमेर), गाँधीनगर(जयपुर) में भी प्रदर्शित हो चुकी है। इस ट्रेन के साथ डीएवीपी, नई दिल्ली की निदेशक मटू जे पी सिंह और जयपुर से अजन्ता देव भी आई है और साथ ही नेहरू युवा केन्द्र के तीस स्वयंसेवक भी है। इस तरह सोलह बोगी वाली इस ट्रेन में सैंतीस व्यक्ति शामिल है। सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि इस पूरी ट्रेन की व्यवस्था के लिए करीब पचीस करोड रूपये की लागत आएगी। यह ट्रेन बीकानेर से अमृतसर के लिए रवाना होगी। इस ट्रेन का इक्कीस राज्यों के ६८ स्टेशनों पर ठहराव है। इस ट्रेन का अंतिम पडाव मेरठ है जहाँ से यह २१ मई २००८ को दिल्ली में जाकर अपना सारा सफर समाप्त करेगी।
इस ट्रेन की ग्याहर बोगियों में प्रदर्शनी लगाई गई है और बाहरवीं बोगी में गाँधी दर्शन व साहित्य सदन की दुकान है। जहाँ पर लोग गाँधी साहित्य व इससे संबंधित जानकारी खरीद सकते हैं। इस ट्रेन में प्रवेश करते ही पहली बोगी में ’’कम्पनी राज‘‘ के बारे में बताया गया है। इसमें यह बताया गया है कि किस तरह ब्रिटीश ईस्ट इंडिया कम्पनी में भारत में अपन पैर जमाए और भारतीयों पर अत्याचार किया। इसी प्रकार दूसरी बोगी को ’’चिंगारी‘‘ नाम दिया गया है। चिंगारी में यह बताया गया है कि चर्बी वाले कारतूसों ने किस तरह से प्रथम स्वतंत्रता संग्राम को जन्म दिया और किस प्रकार मंगल पांडे के नेतृत्व में बैरकपुर में विरोध हुआ। तीसरी बोगी को ’’आग फैली‘‘ नाम दिया गया है और बताया गया है कि दिल्ली पर कब्जे के एक महीने के भीतर ही विद्रोह की चिंगारी पूरे उत्तर तथा पूर्वी भारत में फैल गई। सभी नस्लों, धर्मों और जातियों के लोगों ने एक होकर लडाई लडी। इसी प्रकार चौथी बोगी ’’अंग्रेजों का दमन चक्र‘‘ में दर्शाया गया है कि क्रांतिकारी ताकतों और नागरिकों की हार क्यों हुई। १८५७ की क्रांति में बहादुरशाह जफर, रानी लक्ष्मी बाई, तांत्या टोपे, तांत्या टोपे, झलकारी बाई, मनीराम दिवान, अहमद शाह, राव तुला राम, शाहमल जाट, अहमद शाह खरल, सरदार मोहर ंसह, जैसे वीरों और सैंकडों अन्य वीरों ने इस विद्रोह में अविश्वसनीय भूमिका निभाई और अपने प्राणों की आहूति दे दी। पाँचवीं बोगी ’’राष्ट्रीय जागरण‘‘ में दिखाया गया है कि किस तरह भारत का शासन ब्रिटीश महारानी के हाथों में चला गया और इसी दौरान भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की स्थापना सन
१८८५ में सर ए ओ ह्यूम ने की। इसी बोगी में बताया गया है कि इस आजादी के आंदोलन में गोपाल कृष्ण गोखले, फिरोजशाह मेहता, बदरूद्दीन तैयब जी, दादाभाई नौरोजी, बाल गंगाधर तिलक, बिपिन चंद्र पाल, लाला लाजपतराय जैसे नेताओं का जुडाव हुआ और राष्ट्रीय जागरण हुआ। बोगी छह में ’’महात्मा गाँधी के नेतृत्व‘‘ नाम से बताया गया है कि १९२० में ब्रिटीश सरकार की उद्दंडता और दमन के खिलाफ गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन छेड दिया। गाँधी जी ने १९३० में सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरूआत की। इसकी शुरूआत गाँधी जी दांडी मार्च से की और नमक कानून तोडा। बोगी सात को ’’भारत छोडो‘‘ नाम दिया गया है। इस बोगी में देखने को मिलता है कि अंग्रेजों के ये समझ में आ गई कि अब इस देश की ताकत के आगे उन्हें झुकना ही होगा। इसी में बताया गया है कि १९४० में मुस्लिम लीग ने लाहौर अधिवेशन में पाकिस्तान निर्माण को अपना लक्ष्य बना लिया था। १९४२ में गाँधी जी के भारत छोडो आंदोलन के नाम से राष्ट्र व्यापी आंदोलन छेड दिया और इसमें सरकार की बर्बरता के कारण सैंकडों भारतीयों की जानें गई। इसी दौरान नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भारतीय राष्ट्रीय सेना का गठन किया और क्रांतिकारी आईएनए ने भारत में प्रवेश किया और अंग्रेजों से लोहा लिया। इसी में बताया गया है कि पंद्रह अगस्त १९४७ को भारत आजाद हुआ और ब्रिटीश शासन का अंत हुआ। बोगी आठ को ’’आजादी‘‘ बोगी नौ को ’’नया सवेरा‘‘ बोगी दस और ग्यारह को ’’सार‘‘ नाम से प्रदर्शित किया गया है। इनमें यह बताया गया है कि भारत ने आजादी के बाद विकास किया और हरित क्रांति और श्वेत क्रांति के माध्यम से आत्मनिर्भरता हासिल की। इस दौरान भारत के विकास में सहायक रहे वैाज्ञानिकों के फोटो भी प्रदर्शित किए गए है। हरित क्रांति के प्रणेता प्रोफेसर स्वामीनाथन और श्वेत क्रांति के जनक वर्गीस
कुरियन के फोटो भी लगाए गए ह
इस ट्रेन को देखने के लिए युवाओं और बच्चों में काफी उत्साह देखा जा रहा है। बच्चों को इस ट्रेन के माध्यम से अपने इतिहास की जानकारी मिल रही है और युवाओं के लिए यह जानकारी काफी लाभप्रद साबित हो रही है।
आज इस ट्रेन को देखने के लिए राजस्थान हाईाकोर्ट के माननीय न्यायाधीश माणक मोहता आए और इस ट्रेन को काफी सराहा। मोहता ने बताया कि इसी के साथ अगर उचित गाइड की व्यवस्था हो तो और शानदार लग सकता है। मोहता ने ट्रेन में बजाए जा रहे म्यूजिक को भी उचित नहीं बताया।
कुल मिलाकर स्वतंत्रता संग्राम के एक सौ पचास साल पूरा होने पर सरकार द्वारा किया जा रहा यह प्रयास काबिले तारिफ है और इससे आने वाले पीढी को काफी जानकारी मिलेगी।
श्याम नारायण रंगा