पुरातत्त्व और पुरालेख अध्ययन से भारत का समृद्ध इतिहास होगा उजागर : कुशवाह
राजस्थान आर्कियोलाॅजी एण्ड एपिग्राफी काँग्रेस का दो दिवसीय प्रथम अधिवेशन शुरू

बीकानेर, खबरएक्सप्रेस.काॅम के तकनीकी सहयोग मे राजस्थान आर्कियोलाॅजी एण्ड एपिग्राफि काँग्रेस का दो दिवसीय प्रथम अधिवेशन आईएमएस काॅलेज के सभागार मे शुरू हुआ।
अधिवेशन की शुभारंभ अवसर पर जयपुर से आये हुए सेवा निवृत्त आईएएस, गिरिराज सिंह कुशवाह ने कहा कि पुरालेख और पुरातत्व अपने आप में महत्वर्पूण विषय है जिस पर बहुत काम करने की आवश्यकता है इससे हमारी संस्कृति के बेहतरीन पक्ष उजागर होंगें। सरंक्षण के लिये जितनी आवश्यकता सरकार के स्तर पर जरूरत है वैसी ही आवश्यकता काॅर्पोरेट क्षेत्र के लोगों को भी इसके संरक्षण के लिये आगे आना होगा। इसके लिये इस क्षेत्र के शोधार्थी, और रूचि रखने वाले युवाओं को आपसी सामंजस्य और संसाधनों का भी उपयोग करना पड़े तो जरूर करें ताकि हर हाल मे भारत की समृद्ध परंपरा उजागर हो। कुशवाहा ने राजस्थान के पुरा स्मारकों पर होने वाले लाइट एण्ड साउण्ड की शुरूआत की वहीं बीकानेर मे टैस्सीटोरी स्मारक तथा माउंट आबू के पास परमारों की राजधानी चन्द्रावती पुरास्थल की खुदाई करवाने का कार्य योजना बनाई।
चन्द्रावती, आहाड़, गणेश्वर जैसी पुरातत्त्व स्थलों पर कार्य कर चुके मुख्य वक्ता के रूप में अपनी बात रखते हुए उदयपुर से पधारे प्रो. जीवन सिंह ने कहा कि इस विषय को विविश्वविद्यालयों में विषय के रूप में लागू करने की आवश्यकता बताते हुए कहा राजस्थान आर्कियोलाॅजी एण्ड एपिग्राफी काँग्रेस द्वारा लुप्त होती इस संस्कृति को बचाने की दिश में बड़ा कदम साबित होगा। वर्तमान मे इस विषय के शोधार्थियों को आधुनिक हो चुकि विज्ञान का सहयोग लेते हुए शोध करना जरूरी है ताकि विश्व को भारत की समृद्ध सभ्यता का मूल स्वरूप दुनिया मे पहचाना जा सका।
उद्घाटन कार्यक्रम कि अध्यक्षता करते हुए प्रो बीएल भादानी ने इस नवीन संगठन के बारे में विस्तृत जानकारी व इसके उद्देश्य के बारे में बताते हुए कहा कि
युग से वर्तमान तक के इतिहास को आज उजागर करने का कार्य किया जायेगा। भादानी ने विष्वविद्यालय में विभिन्न कलाओं के विकास के लिए इस विषय से संबन्धित म्यूजियम बनाने की भी आवष्यकता जताई है।
विशिष्ट अतिथि के रूप मे उद्योगपति सुनील रामपुरिया ने अपने उद्बोधन से संस्था के गठन और अधिवेषन की उपयोगिता करेगा और इसके लिए सभी को मिलकर चलना होगा।
महाराजा गंगासिंह विष्वविद्यालय के सेवानिवृत प्रो. षिवकुमार भनोत ने कहा कि यह एक विषेष सराहनीय कार्य है जो इतिहास के शोधार्थियों के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। पुरातात्विक दृष्टि से बीकानेर के लिए यह गौरव कि बात है कि जहाँ टैस्सीटोरी ने घूम-घूमकर शोध किया वहीं शोधार्थियों के लिए यह अधिवेषन एक पृष्ठ भूमि बनकर उभरेगा।
मुरारीलाल शर्मा ने अपने अनुभवों के आधार पर कहा कि आज इतिहास कि दृष्टि से अभिलेख और शैलचित्र शब्दों की सीमा से आगे निकल करभाव शैली में आ चुके है। उद्घाटन सत्र में डाॅ. अनंत जोषी, डाॅ. पंकज जैन ने मुख्य अतिथियों का प्रतीक चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए अधिवेषन के सचिव डाॅ. रीतेष व्यास ने कहा कि यह अधिवेषन इतिहास विषय के उतरोत्तर विकास में एक महत्वपूर्ण कीर्तिमान स्थापित करेगा।
अधिवेषन के उद्घाटन के पश्चात् श्रीगणेश बैरवाल, डाॅ. रीतेश व्यास, डाॅ. मुकेश हर्ष, डाॅ. गोपाल व्यास की तीन फोटो प्रदर्षनियों तथा नृसिंहलाल किराडू के जीवाष्म प्रदर्षनी का उद्घाटन अतिथियों द्वारा किया गया। इसके पष्चात् हुए तकनीकी सत्रों में ममता शर्मा, सैयद सुम्बुल आरीफ, स्वाती जैन, पुर्वा भाटीया, डाॅ. अम्बिका ढाका, धर्मजीत कौर, मीना कुमारी और डाॅ. पूनाराम ने पत्र वाचन किया। इस कार्यक्रम में राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर द्वारा पुस्तक प्रदर्षनी भी रखी गई।
अधिवेषन सचिव डाॅ व्यास ने बताया कि रविवार को दूसरे दिन दो तकनीकी सत्रों का आयोजन किया जाएगा जिसमें दिल्ली और अलीगढ़ से पधारे शोधार्थियों द्वारा पत्र वाचन होगा।
समापन दिवस पर दोपहर बाद आयोजित कार्यक्रम मे कला संस्कृति साहित्य और पुरातत्व मंत्री डाॅ. बी.डी.कल्ला मुख्य अतिथि के रूप मे शिरकत करेंगें।