स्टेम सेल से लाईलाज बीमारियो का निदान संभव-डा.बंसल
अगले माह शुरू होगी स्टेम सेल थैरेपी
बीकानेर। स्टेम सेल ट्रांसप्लांट सर्जन डा. हिमांशु बंसल ने कहा है कि शिशु के जन्म के पश्चात उसे मां से जोडने वाले गर्भनाल (अम्बीलीकल कार्ड) व आवल(प्लेसेन्टा) को अधिकांशत बायोमेडिकल वेस्ट के साथ ही नष्ट कर दिया जाता है। इस गर्भनाल में उपस्थित रक्त में स्टोम सेल होते है जिन्हे हम मानव शरीर के मास्टर सेल भी सकते है। ये मास्टर सेल शरीर के कई अंगो को दोबारा बनाने (रिजनरेट) करने में सक्षम हैं। सोमवार को जय नारायण व्यास कालोनी स्थित सन हास्पीटल में स्टेम सेल पर आयोजित र्वकशाप के दौरन उन्होने कहा कि स्टेल सेल ब्लड कैंसर, सेरीब्रल पाल्सी, आटिज्म, डायबिटिज व लिवर सिरोसिस सहित लगभग 100 से अधिक लाईलाज बीमारियो का सफलता पूर्व निदान संभव हैं। डा. बंसल के अनुसार यदि माता-पिता अपने बच्चे के जन्म के समय कार्ड ब्लड को संरक्षित करने को निर्णय लेते है तो उस कार्ड ब्लड से स्टोम सेल को निकालकर अतिशीत (-180 डिग्री सेन्टीग्रेड) तापमान पर तरल नाइट्रोजन वाष्प में 21 वर्ष तक संरक्षित रखा जाता है। इस सेल का उपयोग शिशु के बीमार होने पर ही नही बल्कि माता-पिता, भाई-बहिन, चाचा, भुआ, ताऊ, दादा, नाना, मामा, मौसी को भी आवश्यकता पडने पर काम आने की संभावना है। इस प्रकार की कार्ड ब्लड फैमिली बैंकिग से पूरे परिवार की एक तरह से बायोमेडिकल इंश्योरेंस की जा सकती है। डा.बंसल के अनुसार हार्ट अटैक, मंदबृद्वि बच्चो, पैर गलना, डायबिटिज आदि रोगो में स्टेम सेल थैरेपी के अच्छे परिणाम सामने आऐ है। उन्होने बताया कि बीकानेर में सन अस्पताल के माध्यम से स्टेम सेल थैरेपी को लेकर अवेयरनेस करना चाहता है। यह सुविधा उपलब्ध करवाना चाहते है।