लक्षचण्डी महायज्ञ में देवी का सहस्त्रार्चन अभिषेक
- श्रीमद् भागवत कथा में नंद उत्सव मनाया, माणिकचंद सुराणा ने लिया प्रखरजी से आशीर्वाद, गांवों से श्रद्धालु बसों में यज्ञ स्थल पर पंहुचे
बीकानेर ९ मार्च । धर्म नगरी बीकानेर के श्रीरामसर रोड पर स्थित धरणीधर महादेव मंदिर में महामण्डलेश्वर स्वामी श्री प्रखरजी महाराज के सानिध्य में आयोजित श्री लक्षचण्डी महायज्ञ में शुक्रवार को मॉ भगवती का विविध सहस्त्रार्चन किया गया। यज्ञस्थल पर चल रहे श्रीमद् भागवत, संत समागम, सुंदर काण्ड पाठ, रासलिला में श्रद्धालुओं के लिए पाण्डाल छोटा पड गया । महायज्ञ स्थल पर वित आयोग के पूर्व अध्यक्ष पूर्व मंत्री माणिकचंद सुराणा, सूरत के उद्योगपति रामरत्न भूतडा ने महामण्डलेश्वर प्रखरजी महाराज से आशीर्वाद लिया व परिक्रमा की। महायज्ञ स्थल पर बीकानेर जिले के आसपास के गावों से श्रद्धालु अपने स्तर पर ही बसों की व्यवस्था कर यज्ञ स्थल पर पंहुच रहे है। शनिवार को श्रीमद् भागवत कथा देापहर १ बजे शुरू होगी। महायज्ञ समिति के महामंत्री रामकिशन आचार्य ने बताया कि आज महायज्ञ में सभी यजमानेां ने एक हजार वस्तुएं भगवती को अर्पित कर सहस्त्रार्चन किया । इस अभिषेक में यजमानों ने गुलाब पुष्प, बादाम, काजू, किशमिस, इत्यादि वस्तुएं अर्पित की। वहीं यजमानेां ने अलग अलग रंग की साडया देवी को चढाई । यज्ञ शाला मे यज्ञ के आचार्य पं. श्री लक्ष्मीकान्त दीक्षित के सानिध्य में सभी यजमानों ने आवाहित देवताओं का पूजन किया । यज्ञ मण्डप में होने वाले हवन में यजमानेा द्वारा आहूतियां दी जा रही है। सहस्त्रार्चय के समय महायज्ञ समिति से जुडे सुभाष मित्तल, मधुसुदन आसोपा, मनमोहन कल्याणी, राजेश चूरा चिरजीगुरू तोलाराम पेडिवाल श्रीधर शर्मा सहित अनेक कार्यकर्ता उपस्थित थे। महायज्ञ स्थल पर कोलकाता के पण्डित श्री कान्त शर्मा ने श्री मद् भागवत कथा में पांचवे दिन श्री मद्भागवत मे नंद उत्सव मनाया गया। नंद के आनन्द भयो जय कन्हैया लाल की के स्वरों से पाण्डाल गूंज उठा। ताल से ताल मिलाते भक्तों ने नंद उत्सव का आनन्द लिया। इस अवसर पर बाल व्यास जी ने कहा की जीवन सपना नहीं यथार्थ की ठोस धरती पर कर्ममय होकर खडा है। आगे बढने के लिए निर्णय लेना पडता है। व्यसजी ने कहा जो दूसरो के सुख को देखकर दुखी होता है। वही पूतना है मनुष्य को आत्मकल्याणी होने के साथ परकल्याणी भी होना चाहिए। जो सादा है, सरल है, उसी में गौरव छलकता है। श्रीकान्त जी ने माखन चोरी लीला का वर्णन करते हुए कहा ईश्वर चोर नहीं है। चोर तो वह है जो उनके दिए हुए चांद सूरज का उपयोग करके उनको धन्यवाद नहीं देते । चिन्तन ईश्वर की गोद है, चिन्ता चिता है। उन्होने कहा महापुरूष शिकायत, नफरत, भय व भगवान पर संदेह नहीं करते । श्री कान्तजी ने कहा गाय चराते कृष्ण का बंशी बजाना हर काम को मग्न होकर करने की शिक्षा देता है। गोरधन पूजा पर प्रकाश डालते हुए उन्होने कहा धर्म के रक्षक परमात्मा ही है, वे ही गाय और ग्वाल की रक्षा कर सकते है। श्रीकान्तजी ने कहा बुद्धि का लक्ष्य स्वतंत्रता, ज्ञान का लक्ष्य प्रेम व शिक्षा का लक्ष्य चरित्र होना चाहिए। शनिवार को कथा में उधव चरित्र रूक्मिणी विवाह, राधा चरित्र व सुदामा चरित्र की कथा का वाचन किया जायेगा। महायज्ञ स्थल पर चार पाठशालाओं में चल रहे दुर्गा सप्तसती के पाठों से धरणीधर क्षेत्र में वातावरण धर्ममय बना हुआ है। श्रद्धालु देर रात तक चलने वाली रासलीला में भी सपरिवार शामिल हो रहे है।