जीत किसकी व्यक्ति की या पार्टी की
विश्व के सबसे बडे लोकतन्त्र के सबसे बडे लोकतांत्रिक पद यानि राष्ट्रपति के चुनाव के नतीजे आज आने हैं। अब से बस कुछ ही देर बाद यह तय हो जाएगा कि दुनिया के सबसे बडे लोकतन्त्र भारत का राष्ट्र प्रमुख कौन होगा। इस पद के लिए दो उम्मीदवार मैदान में है। एक बडे कद के कद्दावर नेता भैंरोसिंह शेखावत और दूसरी तरफ है प्रतिभा पाटील। पाटील चाहे खुद बडे कद की नेता न हो लेकिन उनके साथ विश्व की सबसे बडी लोकतांत्रिक व राजनैतिक पार्टी का समर्थन प्राप्त है।
विश्व के सबसे बडे लोकतन्त्र के सबसे बडे लोकतांत्रिक पद यानि राष्ट्रपति के चुनाव के नतीजे आज आने हैं। अब से बस कुछ ही देर बाद यह तय हो जाएगा कि दुनिया के सबसे बडे लोकतन्त्र भारत का राष्ट्र प्रमुख कौन होगा।
इस पद के लिए दो उम्मीदवार मैदान में है। एक बडे कद के कद्दावर नेता भैंरोसिंह शेखावत और दूसरी तरफ है प्रतिभा पाटील। पाटील चाहे खुद बडे कद की नेता न हो लेकिन उनके साथ विश्व की सबसे बडी लोकतांत्रिक व राजनैतिक पार्टी का समर्थन प्राप्त है।
कुछ देर बाद यह तय होगा लेकिन अगर ऑंकडों का गणित देखा जाए तो प्रतिभा पाटील का पलडा भारी लगता है और पाटील की जीत सुनिश्चित लगती है। यही कारण है कि दिल्ली के काँग्रेस कार्यालय में जश्न का माहौल है और प्रतिभा पाटील से जुडे हर शख्स के चेहरे पर खुशी है। प्रतिभा पाटील के ससुराल छोटी लोसल गाँव में भी जश्न की तैयारियॉ कर ली गई हैं। युवकों की टोलियाँ चंग लिए घूम रही है और गाँव में बैंड बाजे बज रहे है। गाँव की औरतें भी आज गाँव की गलियों में घूम रही है और मंगल गीत गाती नजर आ रही है। गाँव की चौपाल पर रंगोली बनाई जा रही है और इस गाँव के हर शख्स को पूरा भरोसा है कि दादीसा की जीत तय है। यही माहौल महाराष्ट्र का है जहाँ का हर खख्स जानता है कि प्रतिभा ताई ने आज तक कोई चुनाव हारा नहीं है और हजारों की संख्या में महाराष्ट्र के कार्यकर्ता दिल्ली पहच चुके है।
वहीं दूसरी तरफ उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत को भी पूरी उम्मीद है कि शायद कोई अजूबा हो जाए और मतपेटी कोई ऐसा परिणाम निकाले कि जीत शेखावत की हो। शेखावत अपने दिल्ली स्थित निवास पर है और किसी से मिल नहीं रहे है। जब प्रेस के लोगों ने उनसे बात करनी चाही तो उन्होंने यह कहते हुए मना कर दिया कि परिणाम आने के बाद ही कोई बात होगी। अपने मित्रवत व्यवहार के कारण हर पार्टी में अपनी पैठ रखने वाले शेवावत अपनी जिंदगी के इस सबसे बडे चुनाव में हारते नजर आ रहे हैं । ऑंकडों का गणित उनके पक्ष में नहीं है और हमेशा उनके साथ रहने वाले नेताओं ने भी उनसे दगा किया राजग के कईं टुकडे इस चुनाव में हुए। शिवसेना ने जहॉ शेखावत के विरोध में मतदान किया वहीं तृणमूल काँग्रेस ने इस मतदान से अपने को दूर रखा। शेखावत को भाजपा से भी नाराजगी हो सकती है कि जितनी मेहनत भाजपा के नेताओं को करनी चाहिए थी उतनी उन्होंने की नह। यही कारण है कि अपनी जिंदगी के सबसे बडे चुनाव में भारतीय राजनीति के इस चमकते सितारे कि चमक में कमी आती नजर आ रही है।
अब फैसला थोडी ही देर में होना है देखना यह है कि लोकतंत्र के इस युद्व में व्यक्ति की प्रधानता रहती है या पार्टी की।