पीपल के पेड से निकली आस्था
पीपल में देखी दीपक की आकृति
बीकानेर, धर्मनगरी बीकानेर मे विश्वप्रसिद्ध रामपुरियों की हवेलियों के पास लगे पीपल के पेड से दीपक के आकार की विभिन्न आकृतिया तने से विस्फुटित हुई। इसके दीपक के आकार के होने के कारण धार्मिक नगरी के लोगो ने इसको चमत्कार मानते हुए भगवान की विशेष कृपा माना और बीकानेर के लिए इसको शुभ संकेत माना।
रामपुरिया विद्युत सब स्टेशन के पास लगभग 20 वर्ष पुराने वृक्ष में आज जब कुछ लोगों ने पीपल के वृक्ष में एक अनोखी आकृति देखी तो लोगों में यह एक आस्था का केन्द्र बन गया तथा एक बारगी लोगों में तहलका सा मच गया। देखते ही देखते काफी संख्या में लोग एकत्रित हो गये। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि इस पुराने वृक्ष की शाखाओं में कई दीपकों की आकृतियां नजर आई जिससे लोगों ने एक अजूबा ही माना बुजुर्ग व्यक्तियों की मान्यता है कि यह एक प्रकार का शुभ संकेत है साथ ही इस पीपल के वृक्ष में गणपति की भी आकृति है आस पडोस के लोगों को जैसे जैसे सूचना मिलती रही वैसे वैसे लोग इस नजारे को देखने पहुंचने लगे तथा पीपल की शाखाओं से दीपक की आकृतिय को बडे गौर से देखा। इस वृक्ष की कुछ शाखाओं में कम तथा कुछ शाखाओं में कतारबद्व दीपक की आकृतियां नजर आई। आज दिनभर लोगों इसी चर्चा में मशगूल रहे और बुजुर्गों से इस बारे में जानकारी पाने का उत्सुक नजर आये। लोगों ने अपनी श्रद्वा के अनुसार दान करने लगे। लोग का कहना है कि इन दीपक की आकृतियों ने सभी को लोगों को आश्चर्य में डाल दिया है। सभी महिलाओं ने तीज के मौके पर पीपल वृक्ष में दीपक के दर्शन करके पूजा अर्चना की। कुछ लोगों ने बताया कि इस वृक्ष में लगभग कुछ वर्ष पूर्व भी लोगों ने नजारा देखा था। खास कर इन आकृतियों को देखने के लिए बच्चे बडे उत्सुक नजर आये लेकिन उन्हें भी काफी मशक्कत के बाद यह नजारा देखने को मिला।
पेडों की स्वाभाविक प्रक्रिया- डा वर्मा
बीकानेर। रामपुरिया हवेली के पास पीपल के वृक्ष में लोगों ने देखी दीपक जैसी आकृति का नजारा बीकानेरवासियों ने देखा कोई इसे आस्था का केन्द्र बता रहा था तो कोई इसे शुभ संकेत मान रहा था। इस संबंध में खबर एक्सप्रेस डाट कॉम ने कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक डा इन्द्र मोहन वर्मा से इस संबंध में जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि पेडों के तनों पर इस प्रकार की आकृति निकलना उनकी स्वाभाविक प्रकि्रया है तथा माइक्रो आर्गेनिज्म के कारण ऐसा होता है। उन्होंने बताया कि जो पेड घने व वर्षों पुराने होते हैं जहां सूर्य की किरणें कम पडती हैं तथा आर्द्रता अधिक रहती है। पेडों की दरारों में जीवाणुओं की ग्रोथ बनी रहती है तथा दरारों में यह फंगस मौजूद रहती है तथा अनुकूल वातावरण होने से इनमें कई प्रकार की आकृतियां बनती रहती है जंगलों में अक्सर ऐसी आकृतियां बनती ही रहती है। उन्होंने खुलासा किया कि यह कोई चमत्कार नहीं बल्कि उनकी स्वाभाविक प्रक्रिया है।