ऊँट उत्थान हेतु वैज्ञानिक करें मौलिक व नूतन अनुसंधान : डॉ.पृथ्वीराज
ऊंटो की घटती संख्या का हल निकालने का कहा
बीकानेर, रेगिस्तान का जहाज माना जाने वाला ऊँट का समय अभी कठिन जरूर है परंतु इसे पुराना नहीं माना जा सकता। उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र इस पशु प्रजाति का खवैया हैं तथा यह संस्थान ऊँटों के विभिन्न पहलुओं यथा दुग्ध उत्पाद, स्वास्थ्य, रखरखाव प्रबंधन आदि पर महत्वपूर्ण अनुसंधान कर रहा है परंतु यह भी सत्य है कि ऊँटों की संख्या घट रही है। ऐसे में यहां के संस्थान के वैज्ञानिक ऊँटों के समग्र उत्थान हेतु मौलिक व नूतन अनुसंधान करें, अपने अनुसंधानों को क्षेत्र स्तर पर ले जाकर ज्यादा से ज्यादा जरूरतमंद ऊँट पालकों, किसानों को लाभ पहुंचाएं। तभी उनमें उष्ट्र व्यवसाय के प्रति आ रहे नैराश्रय की भावना आशा में बदलेंगी। ये विचार आज राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर में पिछले चार दिन के ‘वैज्ञानिक-उष्ट्र भागीदार समन्वय कार्यशाला’ के समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में बीकानेर के जिलाधीश डॉ.पृथ्वीराज अपने अभिभाषण में बोल रहे थे। डॉ.पृथ्वीराज ने केन्द्र के कृषि क्षेत्र का भ्रमण कर केन्द्र में वृक्षारोपण किया।
समापन सत्र के विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र, हिसार के निदेशक डॉ.आर.के.सिंह ने कहा कि केन्द्र द्वारा इस प्रकार की कार्यशाला का आयोजन निश्चित रूप से एक दुर्लभ अवसर था क्योंकि देश के विभिन्न राज्यों-लेह लद्दाख-कश्मीर, पंजाब, गुजरात, राजस्थान आदि के ऊँट पालकों, उष्ट्र भागीदारों को एक साथ एक मंच पर लाकर दूध, पर्यटन, कुटीर उद्योग से जोड़ने की बात की गई
कार्यक्रम के अध्यक्षीय भाषण प्रस्तुत करते हुए केन्द्र के निदेशक डॉ.एन.वी.पाटिल ने कहा कि ऊँट व ऊँट पालकों की समस्याओं, इनके निराकरण हेतु केन्द्र निरन्तर प्रयत्नशीन है, इस आयोजित कार्यशाला से प्राप्त लोगों के अनुभव को 12 वीं पंचवर्षीय योजना में अनुसंधान के रूप में समायोजित किया जाएगा। इन्हें फलीभूत कर ऊँट व ऊँट पालकों की पीड़ाओं को दूर करने के हरसंभव प्रयास किए जाएंगे। केन्द्र हर समय ऊँट व ऊँट पालकों की स्थिति में यथासंभव सुधार लाए जाने हेतु तैयार रहेगा।
समापन सत्र में चार दिनों तक संचालित गतिविधियों की जानकारी क्रमश: डॉ.एस.के.घौरूई, प्रधान वैज्ञानिक, डॉ.सज्जन सिंह, प्रधान वैज्ञानिक, डॉ.राघवेन्द्र सिंह, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं डॉ.एस.सी.मेहता, प्रधान वैज्ञानिक ने दी। कार्यक्रम का संचालन डॉ.चंपक भकत ने किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ.पृथ्वीराज द्वारा केन्द्र का एक उत्पाद- क्षेत्र विशिष्ट खनिज मिश्रण जारी किया गया व एक कम्पेंडियम का विमोचन किया गया।
केन्द्र में इन चार दिनों के दौरान कैमल मिल्क प्रतियोगिता का आयोजन दो चरणो में किया गया। प्रथम (पहाड़ी क्षेत्र के प्रतिभागी) चरण की प्रतियोगिता में फुंसुग, डॉ. फिरोजददीन शेख एवं हाजी अब्दुल रज्जाक क्रमश प्रथम, द्वितीय, तृतीय रहे। द्वितीय चरण (समतल क्षेत्र के प्रतिभाग) की कैमल मिल्क प्रतियोगिता में रेवंता राम, शंकर रेबारी एवं मोहम्मद हुसैन क्रमश : प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर रहे।
कार्यशाला के इस समापन सत्र में वी.के.महाजन जो कि कैमल मिल्क इंडिया, चंडीगढ़ के व्यवसायी है, कैमल समाप्त होने वाले स्थलों के हालात खराब बताएं, अंत कैमल को बचाए जाने की गुहार लगाई। उन्होंने उष्ट्र दूध की औषधीय उपयोगिता व पेय पदार्थ के रूप में अपनाये जाने हेतु खुले मन से सहयोग देने का आश्वासन दिया। कश्मीर लद्दाख क्षेत्र से पधारे हाजी अब्दुल रज्जाक ने वहां के ऊँटों की खस्ता हालत के बारे में जानकारी दीं, उन्होंने केन्द्र मे आयोजित कार्यशाला से प्राप्त ज्ञान को अपने यहां पर मूर्त रूप देकर दो कुबड़ीय ऊँट पालन को लाभकारी बनाने का आश्वासन दिया।
समापन कार्यक्रम से पूर्व आज के सत्र में शेर-ए-कश्मीर कृषि एवं विज्ञान प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों -डॉ.फिरोजद्दीन शेख एवं डॉ.मोहम्मद अशरफ पाल द्वारा दो कुबड़ीय ऊँट व ऊँट पालकों के विकास के बारे में जानकारी दी, उन्होंने वहां व्याप्त मादाओं में समय पर प्रजनन हेतु तैयार करने की जानकारी का अभाव, सेल्टर सिस्टम, उष्ट्र स्वास्थ्य की सुविधा की कमी, चारे की कमी आदि की जानकारी दी।
आज के सत्र में उष्ट्र भागीदारी के रूप में एल.पी.एस., सादड़ी, के कल्याण सिंह, लखनउ के अब्दुल अजीत, मोडाराम मेघवाल, कक्कू, देवेन्द्र कुमार रेगर, बीकानेर , सहजीवन के डॉ.नथानी एवं शंकर लाल रेबारी, बाली इन सभी ने अपने ऊँट पालन संबंधी अनुभव इनसे बनने वाले उत्पाद जैसे, हड्डी से बनने वाले ज्वैलरी बॉक्स, कान की बालिया, पेन, इसी प्रकार चमड़े के बेल्ट, जूते, पर्स, कुप्पा एवं बाल से बने उत्पाद जैसे दरी, शॉल, कम्बल का प्रदर्शन किया, इन्हें उष्ट्र व्यवसाय के रूप में लाभकारी बनाने की बात कही। श्रीगोपाल उपाध्याय ने अपने विचार रखे। एक कुबड़ीय ऊँट पालक का अभिभाषण (बीकानेरी, जैसलमेरी एवं मेवाड़ी) : मुद्दे एवं सुझाव एव उद्योगपतियों का अभिभाषण मुद्दे एवं सुझाव तथा पारस्परिक वार्ता सत्र-निदेशक, रा.उ.अनु.के.द्वारा निराकरण प्रस्तुत किए गए।