असहायों की सहायता करना ही स्व. कोचर को सच्ची श्रद्धांजलि : गहलो
कोचर सर्किल पर स्व. रामरतन कोचर की 32वीं पुण्यतिथि पर समारोह आयोजित
बीकानेर। सब धर्म हमें सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने की बात सिखाता है। संस्कार मनुष्य के स्वभाव का निर्माण करते हैं और व्यक्ति की पुण्यवानी ही होती है कि उसे उसके जाने के बाद भी प्रेरणा स्रोत के रूप में याद ही नहीं पूजा भी जाता है। ऐसे ही व्यक्तित्व के धनी थे स्व. रामरतन कोचर। उक्त विचार राजस्थान सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नोखा रोड स्थित कोचर सर्किल पर स्व. रामरतन कोचर की 32वीं पुण्यतिथि पर आयोजित समारोह में कहे।
गहलोत ने कहा कि साधुवाद है ऐसे परिवार को जो स्व. कोचर की पुण्यतिथि पर हर वर्ष सम्मान समारोह का आयोजन कर विकलांगों को ट्राइसाइकिल तथा विद्यार्थियों को पोशाक वितरित करता है। स्व. कोचर के बारे में बताते हुए गहलोत ने कहा कि छात्र जीवन से ही स्व. रामरतन कोचर का सान्निध्य उन्हें प्राप्त हुआ है। प्रारंभ से ही वे संघर्षशील तथा जुझारु कार्यकर्ता रहे हैं। पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ता तो थे ही समाजसेवा में भी अग्रणी रहे हैं। युवा पीढ़ी को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए और ऐसे सद्कार्य करें कि उन्हें भी याद रखा जाए। गहलोत ने कहा कि इस मूर्ति सर्किल के भूमि पूजन के समय में भी वह उपस्थित थे और प्रसन्नता है कि वे आज भी इस समारोह में उपस्थित हैं।
स्व. रामरतन कोचर स्मारक समिति के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में डॉ. सुषमा सिंघवी का पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मान किया। सिंघवी को उपध्यानचन्द कोचर ने राशि भेंट की तथा रामेश्वर डूडी ने श्रीफल भेंट कर सुषमा सिंघवी का अभिनन्दन किया। डॉ. सिंघवी ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमें स्व. कोचर से सद्कार्यों की प्रेरणा लेनी चाहिए। धार्मिक क्षेत्र, सामाजिक क्षेत्र या राजनीति क्षेत्र हो कोचर ने हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ी है। धार्मिक क्षेत्र वल्लभ गुरु के प्रति आस्था रही तथा सामाजिक क्षेत्र में किसानों व गरीबों के अधिकारों की रक्षा के लिए कभी पीछे नहीं रहे। राजनीति भी स्व. कोचर ने नीति के अनुरूप की है।
महापौर भवानीशंकर शर्मा ने कहा कि स्व. कोचर ने जीवनपर्यन्त जनसेवा के कार्य किए हैं। अकाल के दिनों में गांव-गांव जाकर अन्न, जल तथा वस्त्र वितरित किए हैं। स्व. कोचर अनेक पदों पर भी आसीन रहे हैं। वल्लभ गुरु के प्रति समर्पित रहे हैं।
कोलायत विधायक भंवर सिंह भाटी ने कहा कि असहायों की सेवा करना, विकलांगों को ट्राइसाइकिलें वितरित करना स्व. रामरतन कोचर ट्रस्ट का कार्य है और ऐसे सद्कार्य करके ही स्व. कोचर को सच्ची श्रद्धांजलि दी जाए। स्व. कोचर के बताए मार्ग पर चलकर ही हम आदर्श भारत का निर्माण कर सकते हैं।
पूर्व वित्त आयोग अध्यक्ष डॉ. बी.डी. कल्ला ने कहा कि स्व. रामरतन कोचर एक चलती-फिरती संस्था थे। अपने पूरे जीवन में एक मिशन की तरह मानव सेवा में जुटे रहे। किसानों व गरीब लोगों के लिए वे मसीहा थे। रामरतन कोचर ट्रस्ट भी स्व. कोचर के पदचिह्नों पर चल कर सेवा कार्य में उत्तरोतर जुटा हुआ है।
नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी ने कहा कि स्व. कोचर का व्यवहार किसानों के प्रति आत्मीयता व भाइचारे से परिपूर्ण था। वे जानते थे कि जब तक अन्नदाता किसान मजबूत नहीं होगा तब तक देश विकास नहीं कर पाएगा। हमें आज भी उनकी सोच को ध्यान में रखते हुए राजनीति में अच्छे जन प्रतिनिधि को चुनना चाहिए।
गंगानगर के पूर्व सांसद व लोकसभा कांग्रेस प्रत्याशी शंकर पन्नू ने कहा कि बीकानेर में मेडिकल कॉलेज स्थापना में स्व. कोचर की महत्वपूर्ण भूमिका रही। संघर्ष के बिना आवश्यकता की पूर्ति नहीं होती। यह उनकी प्रेरणा थी। 'संगठन कैसे चलेÓ यह उनकी कार्यशैली से सीखा जा सकता था।
प्रधान पंचायत समिति भोमराज आर्य ने कहा कि हमें कर्म ऐसे करने चाहिए कि हमारी भी मूर्तियां लगे और हमें भी लोग इसी तरह याद करें। धन संग्रह की लिप्सा को त्याग कर सद्कार्य में जुटे रहना चाहिए। राजनीति की बात करें तो लोग पार्टी बदलते समय नहीं लगाते लेकिन साधुवाद है कोचर परिवार को जो लगातार चार पीढिय़ों से कांग्रेस के साथ जुड़कर सेवा कार्य में निरन्तर लगे हैं। स्व. कोचर धर्म के प्रति आसक्त थे ही साथ में जीवनभर उन्होंने असहायों की सेवा की है।
कार्यक्रम में जयचन्दलाल डागा ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को साफा पहनाया व डूंगरगढ़ के पूर्व विधायक मंगलाराम गोदारा ने सूत की माला पहनाई। उपध्यानचन्द कोचर ने स्वागतभाषण प्रस्तुत किया तथा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व स्व. रामरतन कोचर के पौत्र वल्लभ कोचर ने आगन्तुकों को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम में 'साथी भूल न जाना... गीत मदन कोचर ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन स्व. रामरतन कोचर की पौत्री डॉ. सरोज कोचर तथा जितेन्द्र कोचर ने किया।
इन्होंने दी पुष्पांजलि- स्व. रामरतन कोचर की 32वीं पुण्यतिथि पर यूआईटी के पूर्व अध्यक्ष हाजी मकसूद अहमद, जमना बारुपाल, सींवरी चौधरी, बसंत नौलखा, हीरु खां टावरी, सुशील बैद, हनुमान चौधरी, प्रेमसुख चारण, चम्पालाल रामपुरिया, सुरेन्द्र व्यास, पार्षद गुड्डी देवी, संजय आचार्य, गोपी बिश्नोई, जयचंदलाल सुखानी, सुमेरमल दफ्तरी, जगदीश बिश्नोई, घेवरचन्द मुशरफ, चम्पकमल सुराना, गिरिराज खैरीवाल, शांतिचंद कोचर, कौशल दूगड़, मोहन सुराना, लक्ष्मण कड़वासरा, हुलासचंद भूतड़ा, गोविन्दराम मेघवाल, बिशनाराम सियाग, पूर्व विधायक सोहन नायक, एल.एन. खत्री, मानमल सेठिया, वरिष्ठ पत्रकार जैन लूणकरन छाजेड़, मुकेश राजस्थानी, डॉ. बालनारायण पुरोहित, डॉ. ओ.पी. हर्ष, चन्द्र कुमार कोचर, सम्पत कोचर, विजय बांठिया, विनोद बाफना, अरविन्द मिढ्ढा, हीरालाल हर्ष, नित्यानन्द पारीक, कमला बिश्नोई, मोहिनी देवी, राजेश आचार्य, हीरालाल गोलछा, गोविन्द चूरा, पारस डागा, दिलीप कातेला, गुलाम मुस्तफा, रमजान कच्छावा, आदूराम भाटी, लूणकरण बोथरा, धनराज गोलछा, शुभकरण चौरडिय़ा, मनोज सेठिया आदि ने स्व. कोचर को श्रद्धांजलि अर्पित की।