वायुमण्डल में हर जगह विद्युत चुम्बकीय तरंगे रेडियो स्टेशन या टीवी टावर तथा रोजमर्रा केे जीवन के दैनिक उपकरण जैसे मोबाईल फोन, कम्पयूटर तथा फ्रीज की उपस्थिति में होने से हर इंसान, हर जगह इन विद्युत चुम्बकीय तरंगों से घिरा रहता है। हर इंसान के शरीर में खून की कौशिकाओं में हलचल की वजह से विद्युत तथा चुम्बकीय क्षेत्र की मौजूदगी होती है। इस बात के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रमाण है कि बाहरी विद्युत चुम्बकीय तरंगे शरीर में मौजूद विद्युत चुम्बकीय तरंगो को प्रभावित करती है। जिससे इंसान के शरीर के विभिन्न हिस्सों पर इसका अलग-अलग तरह से प्रभाव होता है। अत्याधिक मोबाईल फोन अथवा कम्पयूटर के उपयोग, एक्स किरणों, फ्रिज इत्यादि के समीप रहने से या अन्य विद्युत चुम्बकीय उपकरण की समीपता से मानव शरीर के खून के संचालन पर कुछ न कुछ जरूर प्रभाव पडता है। खून में उपस्थित प्लास्मा के द्वारा प्रभावित आयण मानव के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न प्रकार से प्रभाव डालते हैं। जैसे रेडियो तरंगो के प्रभाव से सिरदर्द या आँखों की नजर पर भी प्रभाव पड सकता है। राडार के पास काम करने वाले व्यक्ति के आॅखों की दृष्टि पर बुरा प्रभाव पडता है। इन विद्युत चुम्बकीय तरंगो का मूल रूप से सबसे बुरा प्रभाव नर्वस सिस्टम तथा सी.एन.एस. की गतिविधियों पर असर देखने को मिलता है। विद्युत चुम्बकीय क्षेत्रों में काम करने वाले व्यक्तियों की हृदय की रक्त कोशिकाओं में रक्त के संचालन पर भी प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा हमारे रिप्रोडक्टिव टिस्यू भी विद्युत चुम्बकीय तरंगों से प्रभावित होते हैं। हालांकि विद्युत चुम्बकीय तरंगो के अलग-अलग तरंगधर्य से विभिन्न प्रकार के प्रभाव होते हैं। टांटिया विश्वविद्यालय श्रीगंगानगर के नर्सिंग, आयुर्वैदिक और होम्योपैथिक विभागों मे आने वाले मरीजों में उपरोक्त कई प्रकार की बीमारियों के लक्षण पाये गये हैं। जिसका बारिकी से अध्ययन किया जा रहा है। रक्त प्लाज्मा में उपस्थित कणों को मेनी बाॅडी थ्योरी के द्वारा कई वैज्ञानिकों ने उपरोक्त धारणाओं का सफलता पूर्वक अध्ययन किया है। मेनी बाॅडी थ्योरी मस्तिष्क में रेडियो विकिरण के दौरान पशु और मानव दोनों में मस्तिष्क की विद्युत गति में प्रभाव देखा गया है। रेडियो आवृति की तरंगो के द्वारा बायोलोजीकल परिवर्तन असाधारण रूप से देखे गये हैं। इन प्रयोगो से न केवल मेटाबोलीजम के परिवर्तन का अध्ययन किया जा सकता है। बल्कि कैंसर जैसी घातक बीमारियों के इलाज के बारे में पता लगाना भी संभव है। इस पर फ्रांस के वैज्ञानिकों ने गहरा अध्ययन किया है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि विभिन्न प्रकार की विद्युत चुम्बकीय तरंगे इंसान के विभिन्न अंगो पर बुरा प्रभाव डालती है। अतः विद्युत चुम्बकीय उपकरणों का सीमित इस्तेमाल ही करना चाहिए।