बीकानेर वासियों को शुभकामनाएं, जनवरी में जरूर आऊंगा-धर्मेन्द्र और धर्मेन्द्र की शुभकामनाएं, ये खबर दो स्थानीय अखबारों मे पढने को मिलि, यदा कदा तीज त्योंहार और नये दिन ऐसी खबर पढने को मिल ही जाती है। आप समझ गये होंगे की हम किस बात पर आपका ध्यान आकर्षित करना चाह रहे है, जी हाँ बिल्कुल शहर की पीडा - और ”अपने“ सांसद साहब की बेइंतहा बेरूखी का और नये दिन पर जले पर नमक छिडकने जैसे व्यवहार की।
नये साल पर एक बार फिर अभिनेता और अपने बीकानेर के सांसद धर्मेन्द्र ने अपनी ”फॉर्मल्टी“ निभाते हुए (वो भी दो तीन अखबारों तक सीमित रखते हुए) नव वर्ष की शुभकमानाऐं प्रेषित कर दी है(फिर न कहियेगा कि नये दिन याद भी नही किया)। उन्होने फोन पर दूर बैठे ही आफ सारे दुख दर्द दूर करने और ढेर सारे काम करने के लम्बे चौडे दावे भी कर दिये और बीकानेर को अपनी फैमिलि बताकर वे बहुत बडे हमदर्द बन गये है। अब कैसे समझाये हमारे स्टार सांसद साहब को की जिन्दगी जितनी सरल आप मान रहे है यहां आम आदमियो के लिए उतनी ही दुरूह होती जा रही है।
समय की मार झेलती झेलती योजनाएं जब अपने आखिरी कगार पर पंहुच कर कुछ मूर्त रूप लेने जा रही है तो सांसद साहब इसे अपने खाते मे डालने का कीसी भी प्रकार का कोई गुरेज नही कर रहे है और निःसंकोच होकर बीकानेर के लिए अपनी पीडा का बार बार रोना रोते हुए इसके लिए काम करने का ढिंढोरा पीट रहे है। चलो कोई नही, ये भी मान लेते है कि नेताओं की ऐसी प्रवृत्ति होती है कि हो रहे काम मे गंगा स्नान करते हुए मीडिया के सामने अपने आपको पेश करना, लेकिन कम से कम बाकि के नेतागण सामने तो आकर ऐसे दावे करते ह, हमारे सांसद साहब ने तो इस काम के लिये अपने पी.ए. साहब को नियुक्त कर रखा है कि कोई भी नया दिन हो होली, दीवाली या नया साल, बस आप तो ”बडे“ अखबारों को अपनी विज्ञप्ति जरूर जारी कर देना। माना कि सांसद साहब और पीए साहब का ये काम बहुत ही अच्छा है, लेकिन क्या केवल ये ही काम है इनके!
हमारी आम समस्याओं और बीकानेर के विकास को लेकर पीडत वोटर जनता का तो यही रोना है कि हमने फिल्मी लुभावने वादों मे आकर एक ऐसे व्यक्ति को महत्त्वपूर्ण सीट पर बिठा दिया, जिसने फिल्मी दुनियां और हकीकत की दुनिया को बराबरी का दर्जा दे रखा है। एक नजर उनके इस वादे पर भी डालिये की ”मै बीकानेर जरूर आउंगा“ गोया कोई आदमी न होकर साक्षात ईवर हो गये कि जैसे ही वो आयेंगे और एक ईश्वरीय चमत्कार होगा जिससे बीकानेर की जनता का तारण हो जायेगा। क्योकि साधारण आदमी अगर सांसद होता तो इसी जगह को अपनी कर्मस्थली बनाता और यहां के निवासियों की हर छोटी मोटी समस्याओं के समय साथ निभाते हुए कदमताल मिलाते और हर समस्या को निपटाने मे महत्त्वपूर्ण भुमिका निभाता। खैर अब तो लगता है जैसी करनी वैसी भरनी, आखिर हमने ही तो वोट देने का कार्य किया है, तो अब हम ही भुगतेंगें। जैसी उपरवाले की मर्जी।
लेकिन हां अगर बधाईयों से सब काम हो रहे तो हमारी तरफ से भी आप सब शहर वासियों को अभिनेता की तरफ से नये साल के अवसर पर शुभकामनाएं मिलने पर बधाई।
Anand Acharya
Editor / CEO - Khabarexpress.com