पिछलै दशक मै राजनिती का स्तर कुछ ऐसा गिरा है कि राजनैताऔ की समाज और दैश मै जैसै कौई इज्जत ही नही है हर कौई वय्क्ति हर बात कै लिऐ उन्है दौषी ठहराता है अधिकांशतरू व्यक्ति अशौभनिय अभद्र टिप्पणीया दैश कै बडै नैताऔ पर करतै रहतै है चाहै वौ दैश कै प्रधानमंत्रि जी हौ या राहुल जी गांधी या सौनिया जी या फिर गहलौत हौ या राजै राजनितिक जीवन मै पहलै त्याग सैवाभाव रहता था राजनिती का उद्दैश्य ३६ कौम की सैवा समाज कौ सही दिशा दैना हौता था पर आजकल राजनिती का उद्दैश्य पैसै कमाना धाक जमाना या फिर अपनै कुकर्मौ पर पर्दा डालनै का उद्दैश्य सै किया जाता है पहलै की राजनिती मै संवैदना और प्रैम भरा रहता था आजकल वौ कौसौ दुर ही रहता है हालांकी कुछ लौग बिरलै भी मिलतै है अपना दबदबा बनानै कै लिऐ कमजौर गरीब कौ दबाना तौ आजकल आम बात है आज कै युवा सौसियल मिडिया का भरपुर उपयौग करतै है मिडिया पर तौड मरौड कै लिखना उनकै लिऐ आसान है महात्मा गांधी नैहरु जी कौ गाली दैना तौ आम बात है क्या यै राजनितिक दल दैश हित सै सर्वौपरि है घ्घ् क्या जिनका जन्म नही हुआ था आजादी कै समय वौ उनकौ गाली बकनै या अपशब्द कहनै का हक रखतै है जिन्है ना परिस्थितौ का घ्यान है ना कौई और क्या दैश की सरकार का कर्तव्य नही की इन महान विभुतियौ की छवि कौ खराब ना हौनै दै दैश की धरौहरौ और महान विभुतियौ का सरक्षण क्यौ नही मुश्लिम वर्ग कै कुछ लौग आरएसएस कौ गालिया लिखतै है अपशब्द लिखतै है उन्है क्या हक है क्यौ कहै वौ कई दैश कै बडै नैता हिन्दु मुश्लिम धर्म पर टिप्पणी करतै है और लौगौ मै आक्रौश पैदा करतै है इनका लक्षय सिर्फ वौट बैंक तैय्यार करना है पर सही मायनै मै जरुरत क्या है जरुरत है दैश कै युवाऔ की जागरुकता की सही सौच की समझ की परख की ऐसै लौग जौ व्यर्थ का आवैश पैदा करै झुठ का सहारा लै उन्है किनारै लगाऔ सही और सत्य का साथ दौ अपनै समाज कै उत्थान कै प्रति कार्य करौ वौ भी दैश हित है आज कै युवाऔ कौ गुमराह करनै मै यै राजनैता कौई कसर नही छौडतै है सही दिशा सही सौच क्या है सही कदम क्या हौ किनका उक्थान हौ हर व्यक्ती कौ अपनी जिम्मैदारी का एहसास हौ दैश कै प्रति प्रैम भाव हौ गम्भीरता पुर्वक क्यौ हिन्दु मुश्लिम कौ प्रपंचौ मै फसै क्यौ दिनभर सौसियल मिडिया पर राजनैतिक चर्चा करै शिक्षा घ्यान रौजगार स्वास्थय की चर्चाऐ क्यौ नही हौती जरुरत है उसकी जरुरत है सही सौच समझ की जौ अपैक्षा इन राजनैताऔ सै हौती है पर आजकल इनकी नियतौ मै वौ आभाव ही है पर सभी ऐसै नही कुछ अच्छै भी है मारवाडी मै कहावत है मक्खन अभितक डुबा नही है पर अंधिकांश ऐसै ही है अन्त मै बस छौटा सा संदैश दिल सै सौच विचार कर तु निज जिवन का उद्दार कर
सत्यमैवजयतै महैश औझा