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एनआरसीसी वैज्ञानिकों का लद्दाख एवं जनजातीय क्षेत्रों का दौरा
ऊँटों के रखरखाव, स्वास्थ्य सुधार, प्रजनन, संख्या में बढ़ोत्तरी एवं अन्य समस्याओं हेतु दौरा
बीकानेर, राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर के वैज्ञानिकों द्वारा लेह, लद्दाख एवं जन जातीय क्षेत्रों का दौरा किया गया। दो दिन पूर्व लौटे केन्द्र वैज्ञानिकों की टीम द्वारा लेह, लद्दाख में किए गए इस दौरे में वहां के दो कुब्बड़ीय ऊँटों के रक्त, गोबर, सीरम के नमूनें मोलिक्यूलर वर्क हेतु केन्द्र लाए गए है जिससे वहां के ऊँटों में पाए जाने वाले परजीवियों आदि का पता लगाया जा सके। केन्द्र की इस टीम ने डिफेन्स इंस्टीटयूट ऑफ हायर एल्टीटयूड, लेह के वैज्ञानिक डॉ.विजय कुमार भारती से भी मुलाकात में ऊँटों की संख्या बढ़ोतरी, नस्ल सुधार, पशुओं में पाई जाने वाली बीमारियों के संबंध चर्चा की। वहां के ऊँटों को केन्द्र द्वारा तैयार पैलेट फीड भी दिया गया तथा ऊँटों ने बड़े चाव से इसे खाया। साथ ही लेह के पशु पालन विभाग के मुख्य अधिकारी डॉ.नजीमूद्दीन से विभाग के दो कुब्बड़ीय ऊँटों की स्थिति का भी अवलोकन किया। लेह के एक पशु पालक/प्रजनक अब्दुल मजीद से भी वहां के ऊँटों की प्रजनन एवं अन्य समस्याओं के संबंध में बात की। केन्द्र का इस लेह लद्दाख क्षेत्र के दौरा का मूल उद्देश्य वहां के ऊँटों के रखरखाव, स्वास्थ्य सुधार, प्रजनन, संख्या में बढ़ोत्तरी एवं अन्य समस्याओं पर ध्यान केन्द्रित करते हुए इस हेतु भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के माध्यम से एक योजना प्रारंम्भ करना चाहेगा जिसमें वहां के पशु पालकों, सम्बन्धित विभागों आदि का अपेक्षित सहयोग भी प्राप्त हो सके। केन्द्र के वैज्ञानिकों की इस टीम में डॉ.अशोक नागपाल, डॉ.जी.नागराजन, डॉ.श्याम सिंह दहिया एवं डॉ.सिवाकुमार शामिल थे।
केन्द्र द्वारा जौलाना जिला बांसवाड़ा एवं ढाणी खजूर, तहसील आसपुर जिला डूंगरपुर के जनजातीय क्षेत्रों में क्रमश दिनांक 27.03.2012 एवं 28.03.2012 को स्वास्थ्य शिविर, किसान गोष्ठी, प्रतियोगिता, सेमीनार, प्रशिक्षण, दुग्ध प्रसंस्करण संबंधी कार्यक्रमों एवं गतिविधियों आदि का आयोजन किया गया। ढाणी, खजूर, आसपुर के करीब 700-800 जनजातीय समुदाय के लोगों ने इनमें प्रतिभागिता निभाई ।
डॉ.पाटिल ने कहा कि केन्द्र के जनजातीय क्षेत्रों के इस दौरे में वहां के पशुधन-गाय, भैंस, बकरी, ऊँट इन सभी का ईलाज एवं उचित मार्गदर्शन प्रदान किया गया तथा कृषि उत्पादन की नवीन तकनीकियों की जानकारी व पशु आहार एवं खनिज लवण का भी वितरण किया गया।
केन्द्र की ओर से बांसवाड़ा एवं डूंगरपुर के इस दौरे में निदेशक डॉ.एन.वी.पाटिल सहित वैज्ञानिकों में डॉ.समर कुमार घोरूई एवं डॉ.सज्जन सिंह, प्रधान वैज्ञानिक, वरिष्ठ वैज्ञानिकों में डॉ.सुमन्त व्यास, डॉ.गोरखमल, डॉ.चम्पक भकत, डॉ.निर्मला सैनी, डॉ.उमेश कुमार बिस्सा, वैज्ञानिकों में डॉ.देवेन्द्र कुमार एवं वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ.नरेन्द्र शर्मा, डॉ.काशीनाथ, पशु चिकित्सा अधिकारी, श्री मोहन सिंह एवं श्री मनजीत सिंह तकनीकी अधिकारी एवं श्री हरपाल सिंह शामिल थे।