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67 रेजीमेन्ट हुई गौरवमयी, मिला СनिशानТ
भव्य सैन्य समारोह मे थल सेनाध्यक्ष विक्रम सिंह ने किया प्रदान
बीकानेर, बीकानेर मे स्थापित 67 रेजीमेन्ट को आज थल सेना अध्यक्ष जनरल विक्रम सिंह ने बहादुरी का प्रतीक ‘निशान’ समर्पित किया।
अन्धेरे से उजाले की ओर के आदर्श वाक्य के साथ काम करने वाली 67 रेजीमेंट को शौर्य का यह प्रतीक निशान राष्ट्रपति की ओर से जनरल विक्रम सिंह ने जयपुर रोड़ के पास सेना क्षेत्र के अन्दर एक गौरवमयी कार्यक्रम स्टैण्डर्ड प्रेजेन्टशन मे पेश किया।
‘निशान’ सौंपने के कार्यक्रम स्टैण्डर्ड प्रेजेन्टशन की शुरूआत 67 रेजीमेंट के सेनिकों ने सैन्य परेड के साथ की, कमाण्ड परेड और रेजीमेंट के कर्नल को जनरल सेल्युट, दक्षिण पश्चिम कमान के जीओसी को जनरल सेल्युट और थल सेनाध्यक्ष के आगमन पर फैन फेयर ट्यून की प्रक्रिया से आगे बढ़ा।
थल सेना अध्यक्ष विक्रम सिंह ने इसके बाद परेड का निरिक्षण किया। इसके बाद सेन्य अनुशासन मे आयेज पुजारी व ग्रंन्थी पे मंत्रोचार के साथ 67 रेजीमेन्ट को प्रदान किये जाने वाले ‘निशान’ का शुद्धिकरण किया। मुख्य कार्यक्रम के रूप मे विशेष प्रतीकों से बना झण्डा ‘निशान’ सौंपा गया। ‘निशान’ सौंपने के साथ ही सेना के तीन हेलीकॉप्टर्स ने भी फ्लाई पास्ट किया। निशाने सौंपने की प्रकिया पुरी करने के बाद अपने जनरल विक्रम सिंह ने उपस्थित सैनिकों और अतिथियों को सम्बोधित करते हुए 67 रेजीमेन्ट की बहादुरी, वीरता कर्तव्यनिष्ठठा के प्रसंगों का उल्लेख करते हुए प्रशंसा की और हमेशा अपने देश पर मिटने के लिए इसी जज्बे के साथ जीने मरने के लिए प्रेरित किया।
‘निशान’ सौंपने के बाद माउण्टेड परेड का आयोजन हुआ जिसमे 21 गरजते हुए टैंकों ने परेड करते हुए थल सेना अध्यक्ष विक्रम सिंह के सम्मान मे टैंकरों की तोपो को झुकाकर सलामी दी, इस परेड के बीच 67 रेजीमेन्ट की शान का प्रतीक बना ‘निशान’ भी चल रहा था।
कार्यक्रम के अन्त मे विक्रम सिंह ने विशेष चिन्ह का भी अनावरण किया। कार्यक्रम मे लेफ्टिनेंट जनरल अरूण कुमार साहनी, जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ दक्षिण पश्चिम कमान, लेफ्टिनेंट जनरल एनएस घई, जीओसी चेतक कोर सहित सेना के अधिकारी, जवान व र्पूव सैनिक भी मौजूद थे। कार्यक्रम का आयोजन लेफ्टिनेंट जनरल अमरजीत सिंह चब्बेवाल, आयुध मास्टर जनरल और कर्नल 67 कवचित रेजीमेंट रेजीमेंट ने किया।

‘निशान’ का महत्व
निशान, ध्वज व रंग सेना की किसी भी युनिट को सशस्त्र सेनाओं के सर्वोच्च कमाण्डर के अनुमोदन के बाद ही दिया जाता है। लड़ाई के मैदान में और इसके बाद युनिट द्वारा उत्कृष्ट सेवा के लिये यह दिया जाता है। ध्वज देने की यह प्रथा अब बंद हो चुकि है लेकिन कवचित रेजिमेंटो को ‘निशान’ अब भी दिया जाता है।
कौन है 67 रेजीमेन्ट
67 कवचित रेजीमेंट 15 सितम्बर 1967 को स्थापित एक सेना की टूकड़ी है जिसकी स्थापना लेफ्टिनेंट कर्नल एनएस चीमा के नेत्तृत्व मे अहमदनगर मे हुई थी। रेजीमेंट की स्थापना सिंख, डोगरा और जाट समुदाय के तीनों आक्रामक स्क्वाड्रनों को मिलकर बनाया गया। यह रेजीमंट भारत मे निर्मित विजयंत टेंकों से सुसज्जित होने वाली यूनिट है। रेजीमेंट के पास ऑपरेशन कैक्ट्स लिलि ट्राइडेंट, विजय और ऑपरेशन पराक्रम सहित कई ऑपरेशन मे भाग लेने का अनुभव है। रेजीमेंट के सविन्दर सिंह, राम प्रताप, इंदरजीत सिहं जैसे शहिद जवानों का गौरव भी हासिल है। सेना ने बड़े सैन्य अभ्यासों का भी अनुभव है। जून 1984 को यूनिट को टी-72 टेंक्स भी सौंपे गये है।