जुनून, जीवटता और नैतिकता ज़रूरी: डॉ. बिस्सा

अवसर एक गेंद की भांति होता है जिसे पकड़ने के लिये सिर्फ एक पल का समय होता है. जो अवसर को पकड़ लेता है, वही कॉर्पोरेट जगत तथा व्यक्तिगत जीवन में सफलता प्राप्त कर सकता है. उक्त विचार मैनेजमेंट ट्रेनर डॉ. गौरव बिस्सा ने अजित फाउंडेशन द्वरा आयोजित “पुस्तक समीक्षा कार्यक्रम” में व्यक्त किये. डॉ. गौरव बिस्सा द्वारा लिखित दो पुस्तकों – “कॉर्पोरेट कबड्डी” और “व्यक्तित्व नवसृजन सूत्र” की समीक्षा के कार्यक्रम में पुस्तकों के लेखक डॉ बिस्सा ने कहा कि यदि आप ऊदेश्य तय नहीं करते तो आपका प्रमोशन पाना या कामयाब होना असंभव है. उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेट जगत में सफलता हेतु हर वक्त सही और सुसंस्कृत रहना, प्रत्येक कार्य दिवस को इंटरव्यू के दिन जितना महत्त्वपूर्ण मानना, सौ फीसदी समर्पित भाव से कार्य करना, बॉडी लैंग्वेज को सकारात्मक रखना और नैतिकता के पथ पर डटे रहना आवश्यक है. उन्होंने जुनून, जीवटता और नैतिक मूल्यों को व्यक्तित्व विकास का प्राण सत्व बताया. डॉ. बिस्सा ने कहा कि पुस्तक कॉर्पोरेट कबड्डी कॉर्पोरेट जगत के एटिकेट्स, बॉस और कार्मिक के प्रेमपूर्ण सम्बन्ध, और नौकरी करने के विविध नियमों को रेखांकित करती है. उन्होंने कहा कि पुस्तक व्यक्तित्व नवसृजन सूत्र व्यक्तित्व के विविध आयामों के विकास के साथ ही व्यक्ति को सदा चौकस, ऊर्जावान, समर्पित, उत्साही और राष्ट्रभक्त बनने की प्रेरणा देती है.
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता सूचना और जनसंपर्क अधिकारी हरिशंकर आचार्य ने कहा कि पुस्तक कॉर्पोरेट कबड्डी व्यक्ति को नौकरी के दौरान आने वाली समस्याओं का समाधान अत्यंत सरल शब्दों में व्यक्त करती है. उन्होंने कहा कि निराशा में डूबे व्यक्ति को दोनों पुस्तकें जीवन जीने की इच्छा और जीवन के प्रति लगाव पैदा करती हैं. आचार्य ने पुस्तक के कई हिस्सों और कथाओं के माध्यम से समझाया कि वास्तविक समस्या बेरोजगारी या निराशा नहीं है अपितु समस्या स्वयं को कमज़ोर मानने की है. उन्होंने कहा कि दोनों पुस्तकें वर्तमान युवाओं में प्रेरणा और ऊर्जा का संचार करती हैं. आचार्य ने पुस्तक कॉर्पोरेट कबड्डी के सिद्धांत “वर्क - लाइफ बेलेन्स” पर बल देते हुए युवाओं को सदा संतुलित रहने का आह्वान किया.
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि युवा उद्यमी आनंद आचार्य ने कहा कि वर्तमान व्यावसायिक जगत को स्मार्ट, श्रेष्ठ कम्युनिकेशन वाले नैतिकता युक्त नौजवानों की आवश्यकता है. आचार्य ने कहा कि डॉ. बिस्सा द्वारा रचित दोनों ही पुस्तकों में शरीर को श्रेष्ठ बनाने, बुद्धिमत्ता से निर्णय लेने, अपनी क्षमताओं में बिस्तार करने और नवीन प्रयोगों से व्यावसायिक समस्या सुलझाने पर बल देती हैं. आचार्य ने दोनों पुस्तकों को युवाओं हेतु आदर्श ग्रन्थ बताते हुए कहा कि इन पुस्तकों की मूल विशेषता है – सरल भाषा, प्रत्येक लेख में कथा और सीधे दिल पर आघात करने की शक्ति. आचार्य ने कहा कि इन पुस्तकों के अध्ययन के उपरान्त युवाओं में परिणामोन्मुखी एप्रोच का विकास होगा. उन्होंने कहा कि भविष्य में पुस्तक में कार्टून्स का प्रयोग करना भी सार्थक रहेगा.
कार्यक्रम के अध्यक्ष आर्थिक चिन्तक और साहित्यकार प्रो अजय जोशी ने कहा कि व्यक्तित्व सिर्फ बाहरी दिखावा नहीं अपितु अंतर्मन की श्रेष्ठता है. उन्होंने डॉ. बिस्सा की पुस्तक व्यक्तित्व नवसृजन सूत्र को युवाओं और प्रोफेशनल्स के लिये आदर्श पुस्तक बताते हुए कहा कि पैकेज, पैसे और प्रसिद्धि से ज़्यादा मायने रखते हैं व्यक्ति के नैतिक मूल्य और राष्ट्रभक्ति के गुण. उन्होंने कहा कि डॉ. बिस्सा की पुस्तक राष्ट्रीयता से सराबोर है और पुस्तकों को राष्ट्रनायकों को समर्पित किया जाना प्रेरणा देता है.
कार्यक्रम के समन्वयक तथा अजित फाउंडेशन के प्रभारी संजय श्रीमाली ने अजित फाउंडेशन के उद्देश्यों और नीति के बारे में बताया. श्रीमाली ने कहा कि अजित फाउंडेशन का यह नियमित प्रयास है कि पुस्तकों की श्रेष्ठ समीक्षा और मूल्यांकन हो ताकि लेखक अपने लेखन में और सुधार ला सके और समाज हेतु श्रेष्ठ सृजन कर सके. श्रीमाली ने अतिथियों का स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया.
ये रहे साक्षी: इंजीनियरिंग शिक्षाविद मो. युनुस शेख, मरुधर कॉलेज के प्लेसमेंट अधिकारी डॉ. अमित सांघी, डॉ. नवीन शर्मा, कम्पनी सेक्रेटरी संस्थान बीकानेर के अध्यक्ष गिरिराज जोशी और सीएस एस डी पुरोहित, साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार, प्रेमनारायण व्यास, डॉ. कृष्णा आचार्य, निवेदिता कॉलेज के डॉ रितेश व्यास, योगेन्द्र पुरोहित आदि समारोह में उपस्थित रहे.