साहित्य की सीआरपीसी, परिवेश के स्वर, नया स्वर पुस्तकें लोकार्पित
गायत्री प्रकाशन से प्रकाशित मधु आचार्य, प्रीतकाल कौर व डाॅ ब्रजरतन जोशी की पुस्तकों का लोकार्पण समारोह आयोजित

व्यंग्य और कहानियों की तीन कृतियों का लोकार्पण
- हर रचनाकार के पास कहन का अपना अंदाज होना चाहिए : कौर
- जन तक सृजन से संभव है साहित्य के सरोकारों की पूर्ति : आचार्य
- अनुभव का अद्वैत है यह संकलन : डॉ.जोशी
- धरणीधर में बनेगा पुस्तकालय : रामकिसन आचार्य
बीकानेर। जब हम पश्चिम से बहुत कुछ अपना रहे हैं तो हमें किताबें पढऩे की आदत भी अपनानी चाहिए। वहां आपको लोग सफर के दौरान किताबें पढ़ते हुए मिलेंगे। हमारे यहां ऐसा कम देखने को मिलता है। हमें भी किताब को खरीदकर पढऩे की आदत डालनी होगी। प्रख्यात लेखिका प्रितपाल कौर ने रविवार को गायत्री प्रकाशन के जन तक सृजन अभियान के तहत प्रकाशित तीन कृतियों के लोकार्पण अवसर पर यह कहा। धरणीधर रंगमंच पर आयोजित इस कार्यक्रम में मधु आचार्य 'आशावादीÓ की कृति साहित्य की सीआरपीसी, प्रितपाल कौर द्वारा संपादित कहानी संकलन 'परिवेश के स्वरÓ और डॉ.ब्रजरतन जोशी द्वारा संपादित कहानी संकलन 'हिंदी कहानी : नया स्वरÓ का लोकार्पण हुआ।
कौर ने कहा कि कहानी संकलन के लिए नौ-दस कहानियों को चुनना काफी चुनौती पूर्ण था, फिर हमने कहानियों को आज के परिवेश से जोड़कर काम शुरू किया तो आसान हो गया। उन्होंने कहा कि हर रचनाकार की अपनी भाषा और कहन का अंदाज होना चाहिए जो उसे दूसरों से अलग करे। साथ ही सभी को समझ में भी आए। बहुत ज्यादा कलात्मक होने के भी अपने खतरे हैं। इससे कईं बार कथानक गुम हो जाता है।
वरिष्ठ रंगकर्मी, साहित्यकार, पत्रकार मधु आचार्य 'आशावादीÓ ने इस अवसर पर कहा कि यह व्यंग्य-कथा संग्रह उनके अनुभव का निचोड़ है। साहित्य के क्षेत्र में जिस तरह की आपाधापी और गैर-जवाबदेही का माहौल है, वह चिंतनीय है। यही वजह है कि ऐसे ही एक दिन सवाल आया कि जिस तरह भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता है, उस तरह का कोई अंकुश साहित्य के नाम पर गलत करने वालों के लिए भी होना चाहिए और ऐसे ही क्षणों में यह व्यंग्य कथा संग्रह की योजना बनी।
उन्होंने कहा कि जन तक सृजन अभियान एक बड़ी सोच को लेकर शुरू किया गया कार्यक्रम है। इसकी सफलता में साहित्य के वास्तविक सरोकारों की पूर्ति निहित है।
युवा कवि-आलोचक डॉ.ब्रजरतन जोशी ने संपादित कहानी संकलन 'हिंदी कहानी : नया स्वरÓ पर बात करते हुए कहा कि वस्तुत: यह संकलन उनके अनुभव का अद्वैत है। दस कहानियों का यह संकलन अब पाठकों की कसौटी पर है। कहानियों का चयन करते हुए खासतौर से यह ध्यान में रखा गया कि पढ़ते हुए पाठक को समकालीन कहानी अंदाजा होने लगे। इन कहानियों से निकलते हुए बहुत कुछ ऐसा नया और रोमांचित करने वाला मिलता है, जिसे मैंने महसूस किया है। यह कहानियां समकालीन कहानी की समृद्धि की ओर संकेत करती हैं। उन्होंने कहा कि कुछ कहानियां इस संग्रह में आने से रह गईं हैं, लेकिन जो रचनाएं अंतिम रूप से इस संग्रह में हैं, वे पाठकों का रंजन करेगी। इस कहानी संग्रह में प्रकाशित कहानीकार आज की कहानी का युवा स्वर कहे जा सकते हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए समाजसेवी रामकिसन आचार्य ने कहा कि बीकानेर की वास्तविक पहचान साहित्य से है। इसलिए साहित्य की गंगा सदैव बहती रहनी चाहिए। साहित्य से समाज को दिशा मिलती है, इसलिए यह जरूरी भी है कि इसकी शुद्धता पर ध्यान रखा जाए। साहित्यकार समाज का आदर्श होते हैं और साहित्य समाज के लिए संजीवनी का काम करती है। यही सोचकर हमने धरणीधर परिसर में एक पुस्तकालय स्थापित करने की योजना बनाई है। जल्द ही रंगमंच को अधिक सुविधायुक्त बनाया जाएगा तथा पुस्तकालय भी आम जन के लिए खोल दिया जाएगा।
लोकार्पित कृतियों पर टिप्पणी करते हुए उर्दू-हिंदी रचनाकार सीमा भाटी ने 'परिवेश के स्वरÓ कहानी संकलन को हर पाठक मन के इर्दगिर्द की कहानी बताते हुए कहा कि इस संकलन के किरदारों से निकलते हुए ऐसा बार-बार लगता है कि इन्हें हम भी जानते हैं। यही किसी कहानी की विशेषता होती है। कवयित्री-कथाकार ऋतु शर्मा ने 'साहित्य की सीआरपीसीÓ के लिए कहा कि साहित्य में अनुशासनहीनता का बर्दाश्त नहीं करने की पीड़ के रूप में यह व्यंग्य कथा संग्रह सामने आया है। अगर एक लाइन में कहूं तो इसमें ऐसे लोगों की बैंड बजाई गई है, जो साहित्य नहीं जानते हुए भी इसमें दखल करते हैं। कवयित्री-कथाकार डॉ.संजू श्रीमाली ने 'हिंदी कहानी : नया स्वरÓ की कहानियों पर बात करते हुए कहा कि इन कहानियों में संवेदना और यथार्थ है। इन कहानियों में आज मुखर है। ये कहानियां नए शिल्प और कहन से भी परिचित कराती है।
कार्यक्रम के प्रारंभ में व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा ने स्वागत वक्तव्य में बीकानेर की साहित्य परंपरा की जानकारी दी। पत्रकार अनुराग हर्ष ने जन तक सृजन अभियान के संबंध में बताया। आभार कवि-कथाकार राजेंद्र जोशी ने जताया। संचालन हरीश बी. शर्मा ने किया। इस अवसर पर नगेंद्र नारायण किराड़ू, श्याम सुंदर व्यास, किसन कुमार व्यास व अजीत राज को भी सम्मानित किया गया।
ये रहे साक्षी
डॉ.नंदकिशोर आचार्य, विद्यासागर आचार्य, सरल विशारद, आनंद आचार्य, दीपचंद सांखला, मनमोहन कल्याणी, आनंद वि. आचार्य, कमल रंगा, शशि शर्मा, हरिनारायण व्यास 'मन्नासाÓ, शीला व्यास, डॉ.उषाकिरण सोनी, नीरज दइया, नवनीत पांडे, अनिल छंगाणी, दीनदयाल शर्मा, के.के.पुरोहित, प्रमोद चमोली, डॉ.कृष्णा आचार्य, इकबाल हुसैन, रामसहाय हर्ष, विपिन पुरोहित, मोहनलाल आचार्य, परमजीतसिंह वोहरा, ऋषि मोहन जोशी, लूणकरण छाजेड़, महेंद्र पांडे, रामसहाय हर्ष,डॉ.मुरारी शर्मा, चंद्रशेखर जोशी, नदीम अहमद नदीम, डॉ.चेतना आचार्य, डॉ.सुचित्रा कश्यप, सीमा जोशी, अलका डॉली पाठक, मीना आसोपा, आरती आचार्य, कैलाश सिंह पंवार, गिरिराज पारीक, आत्माराम भाटी, राजेश ओझा, विनोद भोजक, मंजू रांकावत, विनीता शर्मा, प्रीति गुप्ता, सीमा माथुर, आसकरण बोथरा, पुखराज चौपड़ा, पी.सी.तातेड़, सुरेेंद्र सिंह शेखावत, अशोक भाटी, ब्रजमोहन रामावत, गोविंद रामावत, राकेश शर्मा, राजाराम स्वर्णकार, आनंद जोशी, नितिन वत्सस, राहुल जादूसंगत, आशीष पुरोहित, रोशन बाफना।