नशे से जीवन होता है बर्बाद: मुनिश्री मणिलाल
आचार्य तुलसी की मासिक पुण्यतिथि के अवसर पर संगोष्ठी आयोजित

गंगाशहर। जीवन जो है वह क्षणों से बना है तथा एक-एक क्षण जीवन को परिवर्तित कर पूर्ण बनाता है। ऐसे ही उद्गारों से आचार्यश्री तुलसी ने हमेशा प्रेरित किया। नैतिकता का शक्तिपीठ में आकर उन्हें परिवार सा माहौल व आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त हुई। ये विचार नैतिकता का शक्तिपीठ परिसर में आयोजित आचार्यश्री तुलसी की मासिक पुण्यतिथि के अवसर पर ‘‘अणुव्रत दर्शन एवं नशा मुक्ति‘‘ विषय पर संगोष्ठी में मुख्यवक्ता डॉ. चक्रवर्ती नारायण श्रीमाली ने कही। उन्होंने कहा ‘जब बसंत आता है तो प्रकृति सुधर जाती है, जब संत आता है तो संस्कृति सुधर जाती है’ कविता के माध्यम से बताया कि आचार्य तुलसी केवल जैन समाज के नहीं अपितु सभी समाज के संत थे। वे हमेशा कुरूतियों को दूर करने के लिए प्रेरित करते थे। उन्होंने कहा कि अपना नजरिया बदलें। सकारात्मक सोच बनाएं। इससे शिक्षा, संस्कार, संस्कृति इस त्रिवेणी को सुदृढ़ बनाया जा सकता है। जीवन में द्वन्द है, जिसे खत्म करना पडे़गा।
शासनश्री मुनिश्री मणिलालजी स्वामी ने कहा कि व्रत के पोषक-भगवान महावीर थे। व्रत ही जीवन है, अव्रत मृत्यु है। अहं ही है जो व्यक्ति को गिरा देता है। मुनिश्री ने कहा कि कम खाना, गम खाना, सम रह जाना ही जीवन है। व्यक्ति को हमेशा संयमित जीवन जीना चाहिए। आचार्यश्री तुलसी के द्वारा दिये अणुव्रत के नियमों के माध्यम से अपने को सुधार सकते हैं। जीवन को नशा मुक्त बना सकते हैं।
मुनिश्री कुशलकुमारजी ने कहा कि विश्व के सबसे विख्यात लीडर की एक आदत है पुस्तकें पढ़ना। पुस्तकें पढ़ने से ज्ञान बढ़ता है और ज्ञान बढ़ने से मनुष्य का निर्माण होता है। उन्होंने कहा कि जीवन में अच्छी आदतों को ग्रहण करना चाहिए तथा बुरी आदतों को छोड़कर अच्छे कर्म करना चाहिए। मुनिश्री ने शराब शब्द का अर्थ बताते हुए कहा कि श से शरारत से शुरू होती है। रा से राक्षस बना देती है तथा ब से बर्बाद कर देती है। इस लिए मनुष्य को जीवन में कभी भी शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। मुनिश्री ने उपस्थित सभी छात्रों को व्यसन मुक्त रहने का संकल्प दिलाया।
इससे पूर्व विषय प्रवर्तन करते हुए आचार्य तुलसी शान्ति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष जैन लूणकरण छाजेड़ ने कहा कि आचार्य तुलसी ने सम्पूर्ण राष्ट्र की पैदल यात्रा करके अपने जीवन में व्यसनमुक्त समाज निर्माण का कार्य किया। उन्होंने कहा कि नशा शब्द गलत नहीं है अगर स्वाध्याय, धर्म एवं सद्कार्यों का नशा किया जाए तो जीवन कल्याण हो सकता है। छाजेड़ ने मुनिवृन्द, मुख्यवक्ता तथा सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए कहा कि सकारात्मक सोच से जीवन में महान कार्य सम्पन्न हो सकते हैं।
रोटरी क्लब मरूधरा के अध्यक्ष पुनीत हर्ष ने कहा कि नशा बहुत बड़ा अपराध को पैदा करता है जो कि देश के लिए बहुत ही खतरनाक है। नशे के कारण आज युवा पीढ़ी गलत लाईन में जा रही है। देश में अपराध बढ़ने का अहम कारण नशा ही है। उन्होंने उपस्थित जन समुदाय से नशे को त्यागने के लिए प्रेरित किया।
अणुव्रत समिति अध्यक्ष इन्द्रचन्द सेठिया ने बतया कि मानव जीवन बहुत ही निर्मल होता है। हमारे शास्त्र में मदिरापान को पाप माना जाता है। इससे पूरे परिवार का नाश हो सकता है। नशा केवल शरीर को ही नहीं अपितु पूरी संस्कृति को समाप्त करता जा रहा है। देश आज नशे की लत के कारण ही पिछड़ रहा है।
मुनिश्री मणिलाल जी स्वामी द्वारा नमस्कार महामंत्र के उच्चारण के साथ संगोष्ठी की शुरूआत हुई। इसके बाद मुनिवृन्दों ने जप करवाया। विद्यानिकेतन स्कूल के विद्यार्थियों ने मंगलाचरण किया। तेरापंथ महिला मण्डल, गंगाशहर ने गीतिका प्रस्तुत की। मुख्य अतिथि का परिचय जतन संचेती ने दिया।
विद्या निकेतन विद्यालय के पूर्व प्रधानाचार्य सुरजाराम राजपुरोहित ने आभार ज्ञापन किया तथा नशा मुक्ति पर अपने विचार रखे। रोटरी क्लब से रतनकमल बैद ने गुरूदेव आचार्य तुलसी के प्रति गीत के माध्यम से अपने भाव प्रकट किए। डॉ. पुनीत हर्ष का बसंत नौलखा ने स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मान किया गया। आचार्य तुलसी फिजियोथैरेपी सेन्टर में चल रहे निःशुल्क सुजोक चिकित्सा पद्धति में डॉ. सुमेरनाथ गोस्वामी का जैन पताका व साहित्य भेंट कर सम्मान किया गया। रोटरी क्लब मरूधरा के सचिव राजेश बावेजा, संयोजक डॉ. विक्रम तंवर, प्रेम जोशी, शकील अहमद, आनन्द आचार्य व चौपड़ा स्कूल की अध्यापिका अंशु पाण्डे व हीरा पारीक का भी स्मृति चिन्ह व साहित्य भेंट कर सम्मान किया गया। संगोष्ठी में नारायणचन्द गुलगुलिया, बसंत नौलखा, डालचन्द भूरा, विनोद बाफना, मनोहर लाल नाहटा, अमरचन्द सोनी, भैंरूदान सेठिया, दीपक आंचलिया, जीवराज सामसुखा, पारसमल छाजेड़, विजेन्द्र छाजेड़, पीयूष लूणिया, भरत गोलछा, तेयुप मंत्री पवन छाजेड़, तेरापंथ किशार मंडल से कौशल मालू, मनीष इत्यादि सैकड़ों की संख्या में श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित हुए। कार्यक्रम के समापन अवसर पर मुनिश्री ने मंगलपाठ सुनाया। संचालन प्रदीप सांड ने किया।