आज के आधुनिक समय मे जहां हर किसी को खुलकर काम करने, जरूरतमंदो की अगुआई के लिए खुलकर आगे आने की न केवल आजादी और माहौल है, कानून है, साधन है, वहां क्या धर्म और समाज के नाम पर प्रतिनिधित्व मांगना समयपरक मांग है! क्या इससे आपका धर्म और समाज विकसित होगा!
हो सकता हे मेरा नजरिया या तो बहुत छोटा है या कुछ ज्यादा ही बड़ा हो गया है, पर फिर जानना चाहूंगा कि क्या जाति / धर्म के आधार पर चुनकर आये नेता उस स्तर पर काम कर सकेगें जिन्होने कभी उस स्तर हेतु काम तो किया ही नही पर पद उस स्तर का चाहिए, क्या वास्तविक नेता कहलाने के हकदार लोगों को पद की जरूरत हुई है, और हुई है तो क्या वो वास्तव मे वंचित रहा है!
पद चाहने वाले जाति/धर्म के नाम पर पद मांगने की बजाय तो तन मन से हर एक पल जरूरतमंद की सेवा, सहयोग, रोजगार, क्षेत्र विकास हेतु काम करना चाहिए जिसके काम को देखते हुए बड़ी से बड़ी पार्टिया भी पद देने को मजबूर हो जाऐ।
सैकड़ो ऐसे सामाजिक कार्यकत्र्ता, प्रोफेशनल्स, उद्योगपति, शिक्षक, पत्रकार और सच्चे धर्म पारायण लोगों को पार्टियों पद मिलते रहे है, जिन पर सैकड़ो हजारों लोगो के जीवन मे सकारात्मकता की भावना पैदा करते हुए विकास की ओर अग्रसर किया है।
अगर किसी को धर्म के नाम पर ही प्रतिनिधित्व होना है तो क्या वो खुशी स्थायी रहेगी, आज आपको आपके धर्म का ठेकेदार मान कर पद दे भी देंगें, बगैर काम और योग्यता के ऐसे पद पर बैठकर क्या आप करवाल लेगें, नाउम्मीदी मे आपको आपके ही धर्म और समाज के लोग खारीज कर देंगें, और किसी दूसरे सिफारिशि लाल को उसका प्रतिनिधित्व सौंप देंगें, तब आप कहां जायेगंे, फिर वही धर्म का रोना रोकर कितने दिन अपने को झुठलायेंगें।
अगर आप सच्चे इंसान और नेता के रूप मे गौरान्वित होना चाहो तो आपके आस पास के माहौल को खुशहाल करना शुरू कर दो, लोग आपको वैसे ही प्रतिनिधित्व देने के तैयार है, यह न केवल आपको आंतरिक खुशी देगा वरन् इस पद से आपको कोई हटा भी नही पायेगा।